लखनऊ: यूपी विधानसभा में उपस्थित दृश्य और विपक्ष के आचरण से आज से शुरू हुए बजट सत्र में एक बार फिर पूर्व की भाती ही शर्मनाक हालात देखने को मिला। यह लोकतंत्र का दुर्भाग्य है की 2007 से लगातार राज्यपाल पर कागज के गोले और गुब्बारे फेंके जा रहे हैं। ऐसा दृश्य होता है जैसे किसी सब्जी मंडी या नुक्कड़ पर कोई लड़ाई चल रही हो। परंपरा मुताबिक विधानसभा सत्र शुरू होने के एक दिन पहले सर्वदलीय बैठक होती है, जिसमे सदन को सुचारू रूप से चलाने पर चर्चा और अग्रेह किया जाता है। बैठक के दौरान विपक्षी दल के नेता सदन को सुचारु रूप से चलने पर सहमति भी जताते है। परन्तु सदन के अंदर उनका आचरण बिलकुल विपरीत होता है।
लेकिन पांच दशक की सक्रिय राजनीति का तजुर्बा रखने वाले यूपी के मौजूदा राज्यपाल राम नाईक ने आज विपक्ष को थका दिया। आज विधानसभा के बजट सत्र के प्रथम दिन उनका चौथा “अभिभाषण” था। विपक्ष के सभी सदस्य सदन के वेल में आकर लगातार “राज्यपाल वापस जाओ” के नारे लगते रहे।
सदन में आज विपक्षियों ने सरकार विरोधी नारो के साथ कागज के गोले फेके और कागज के हवाई जहाज बना कर उड़ाए जिनको राज्यपाल के अंगरक्षक बने मार्शल हाथो में दफ़्ती लिए लपक रहे थे। आज सदन में विपक्ष का हंगामा और राज्यपाल का काफी लम्बा चौड़ा [एक घंटा-उन्नीस मिनट] का “अभिभाषण” साथ-साथ चला।
आज की विधानसभा की पूरी कारवाही के दौरान एक बात साफ दिखी, वो थी एक रिटायर्ड नौकरशाह और नेता का फर्क, बताते चले की यूपी के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय टी0 वी0 राजेस्वर ने तीन साल और बी0 एल0 जोशी ने चार साल अपने अभिभाषण के दौरान विधानमंडल के समवेत सदनों को संबोधित किया लेकिन विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच हर बार बमुश्किल तीन या चार मिनट सदन में ठहर सके। “राज्यपाल वापस जाओ” के नारों के बीच कागजों के गोलों फेंक कर होने वाला स्वागत उन्हें रास नहीं आता था, दोनों रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट थे। अब तक विधानसभा में जो परम्परा चली आ रही थी आज उसका अंत हो गया, अब तक पूर्व के राज्यपाल अपने “अभिभाषण” की पहली और आखिरी पंक्ति पढ़कर बोलते थे और सदन में राज्यपाल के “अभिभाषण” को पूरा पढ़ा मान लिया जाया करता था, जिसमे कुल 3 -4 मिनट का समय लगता था।
रिपोर्ट @शाश्वत तिवारी