शराब पीने की लत के चलते ‘आप’ के पंजाब कन्वीनर भगवंत मान पर तरह तरह के सवाल उठाए जाते हैं, जिनका अब उन्होंने एक करारा सा जवाब दिया है। भगवंत मान का कहना है कि मैं क्या खाता हूं, मैं क्या पीता हूं। मसला ये नहीं है, मसला ये है कि मेरे खिलाफ कुछ मिलता नहीं है। न करप्शन का चार्ज, न इनकम टैक्स का न विदेश दौरे का।
इसलिए अब कहने लगे कि ये खाता है ये पीता है। अरे ये पंजाब के मसले नहीं हैं। कम से कम मैं इनकी तरह जनता का खून तो नहीं पीता। भगवंत मान क्या पीता है, भगवंत मान की निजी जिंदगी पंजाब का मसला नहीं है। पंजाब के मसले कहीं बड़े हैं।
अरविंद केजरीवाल मेरे बड़े भाई जैसे हैं। मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं। मेरे खिलाफ जो कुछ कहा जा रहा है, वैसा कुछ नहीं है। मेरे खिलाफ एक परसेप्शन बनाने की साजिश की जा रही है, जिसका विरोधियों को मुंह तोड़ जवाब मिलेगा।
प्रधान बनाए जाने पर नाराजगी पर चुटकी ली
भगवंत मान ने कहा कि जब से मुझे पंजाब में पार्टी की कमान सौंपी गई है, नाराजगी का दौर चल रहा है। बता देना चाहूंगा कि मेरा चुनाव लोकतांत्रिक ढंग से हुआ है। प्रधान बनने का मुझे कोई लालच नहीं था, सब कुछ पार्टी सदस्यों की सहमति से हुआ है।
मैंने तो उस समय विरोध नहीं किया था, जब सबसे ज्यादा वोटों से जीतने के बाद भी मेरी जगह धर्मवीर गांधी को संसद में पार्टी का नेता बना दिया गया था। मुझे पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी दी है, वह निभाई है और निभाता रहूंगा।
लोगों को जवाब मिलेगा, मेरे काम से जवाब मिलेगा। मैं अपना काम शिद्दत से करता हूं। मैं हंसमुख इंसान हूं, सीरियस रहना मुझे नहीं आता। मैं निचले स्तर से यहां तक पहुंचा हूं, इसलिए लोगों को यह बात हजम नहीं हो रही है।
गुरप्रीत घुग्गी के आरोपों पर खुलकर बोले
फंड में गड़बड़ी के गुरप्रीत घुग्गी के आरोपों पर भगवंत मान बोले कि जब किसी को पार्टी से निकाला जाता है, आरोप तभी क्यों लगते हैं। उससे पहले तो कोई कुछ नहीं कहता। जब अपनी इज्जत पर आ जाती है तो लोग दूसरों पर आरोप लगाने लगते हैं।
जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वे बेबुनियाद हैं। घटिया किस्म की राजनीति की जा रही है, पार्टी को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। लोगों को अनुशासन में रहना चाहिए। कोई कुछ भी कहता रहेगा तो ये नहीं कि चुपचाप सुनते रहेंगे।
पार्टी की लड़ाई सिस्टम बदलने की है, अगर कोई इसमें खलल डालेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई तो करनी ही होगी। आम आदमी पार्टी तंगदिल नहीं है। सुबह का भूला कोई अगर शाम को वापिस आ जाएगा तो उसे अपना लिया जाएगा।
पंजाब में पार्टी की हार पर बात की
भगवंत मान ने कहा कि पंजाब में पार्टी के 20 विधायक हैं और पार्टी तीन साल पुरानी हो चुकी है। पहली बार पंजाब में कांग्रेस और अकाली दल के अलावा कोई और पार्टी विपक्ष में है तो ये हजम कैसे हो सकता है। लेकिन यह पार्टी के लिए अच्छी बात है।
पंजाब की पार्टी की हार कोई हार नहीं है। सबसे बड़ी हार तो उनकी है जो 25 साल से राज कर रहे थे और आज उनको 25 सीटें भी नहीं मिली है। जनता ने हमें पूरा सहयोग किया है, लेकिन हार के कारणों पर मंथन जरूर किया जाएगा। सबसे ज्यादा दिक्कत विरोधियों के प्रचार ने किया कि दिल्ली वाले आकर बैठ गए हैं, वे क्या पंजाब को चलाएंगे।
बिल्कुल झूठा प्रचार था ये, कमी हमारी भी रही कि हम लोगों तक अच्छे से पहुंच नहीं पाए। अब मैंने पंजाब का पूरा संगठन भंग किया है और अब पंजाबी कल्चर के हिसाब से इंचार्ज बनाए जाएंगे। दिल्ली और पंजाब में बहुत फर्क है। पंजाब में कल्चर अलग है। यहां हर बीस किलोमीटर के बाद भाषा, रहन सहन, धार्मिक भावनाएं बदल जाती है।
@एजेंसी