महिलाओं की एंट्री पर रोक को लेकर सुर्खियों में आए केरल के सबरीमाला मंदिर के बोर्ड ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। मंदिर की देख-रेख करने वाले त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) के चेयरमैन गोपालकृष्णन का कहना है कि वे महिलाओं की एंट्री पर राजी होकर मंदिर को थाईलैंड में तब्दील नहीं करना चाहते।
उन्होंने कहा कि भले ही सुप्रीम कोर्ट एंट्री के आदेश दे दे, लेकिन मंदिर के रिवाजों को मानने वाली और खुद्दार महिलाएं वहां एंट्री नहीं लेंगी। उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा होने पर मंदिर परिसर में कई चिंताजनक मुद्दे उठने लगेंगे। सबसे बड़ा मुद्दा तो महिलाओं की सुरक्षा का होगा और प्रशासन को यहां पर महिला पुलिसकर्मी भी तैनात करनी पड़ेंगी।
गोपालकृष्णन के इस बयान का सीपीआई(एम) ने विरोध जताया है। उन्होंने कहा है कि महिलाओं के प्रति वे ऐसे विवादित बयान कैसे दे सकते हैं? चेयरमैन की ओर से कही गई बात महिलाओं की बेईज्जती के बराबर है। उन्हें अपने बयान को वापस लेना चाहिए और माफी भी मांगनी चाहिए।
दरअसल, इस मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट ने केस संवैधानिक पीठ को सौंप दिया है। कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि महिलाओं की एंट्री पर रोक क्या समानता के अधिकार का हनन है? साथ ही कहा कि इस तरह की रोक लगाए जाना ठीक है?
बता दें कि महिलाओं के मंदिर में प्रवेश निषेध का मुद्दा पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है। बता दें कि सबरीमाला के मंदिर में 50 वर्ष तक की महिलाओं का प्रवेश निषेध है।