सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल को विचार के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेज दिया है कि ‘विशेष विवाह कानून’ के तहत किसी हिंदू पुरुष से विवाह के बाद क्या कोई पारसी महिला स्वत: हिंदू हो जाती है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उसे यह भी विचार करना होगा कि क्या तीन तलाक के मामले में पांच न्यायाधीशों की पीठ के फैसले का वर्तमान मामले में भी कोई प्रभाव हो सकता है।
पीठ में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि ‘सांस्कृतिक परंपराओं का सिद्धांत’ इस पर लागू होता है या नहीं, यह बड़ी पीठ देखेगी। सांस्कृतिक सिद्धांत विवाह के बाद महिला का धर्म अपने पति का ही धर्म होने की बात कहता है।
पीठ बंबई हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली गूलरोख गुप्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि ‘विशेष विवाह कानून’ के तहत हिंदू पुरुष के साथ विवाह करने पर किसी पारसी महिला का हिंदू धर्म में धर्मांतरण हो जाता है।