छत्तीसगढ़ की जिस गौशाला में भूख से दर्जनों गायों की मौत हो गई, उसके इंचार्ज, हरीश वर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया है। वह जमूल नगर पंचायत क्षेत्र में बीजेपी का उपाध्यक्ष है। शुक्रवार (18 अगस्त) को उसे ‘विश्वासघात” और ‘अनदेखी’ के लिए पुलिस ने गिरफ्तार किया। दुर्ग जिले के राजपुर गांव में बनी शगुन गौशाला के मेन गेट पर ‘कमल’ बना हुआ है, जहां सैकड़ों गायें मौत के कगार पर खड़ी हैं। यहां की गायें बेहद कमजोर हैं, पसलियां साफ दिखाई देती हैं।
पिछले हफ्ते भर में मौत की शिकार हुई कई गायों के अवशेष भी पड़े हैं। कुछ लाशें खेतों में सड़ रही हैं और कुछ आवारा कुत्तों द्वारा नोचे जाने की श्रृंखला में हैं। राजपुर के निवासी और राज्य के अधिकारी गायों की मौतों के लिए वर्मा को जिम्मेदार बताते हैं मगर बीजेपी नेता का दावा है कि उसकी पार्टी की अपनी सरकार ने इस स्तर की गौशाला चलाने के लिए जरूरी सालाना ग्रांट नहीं दी, वह भी तब राज्य में गौ-हत्या पर प्रतिबंध है।
स्थानीय निवासी पिछले हफ्ते में भर में ”200 गायों की मौत” होने की बात कहते हैं, मगर पशु चिकित्सक इस बात की पुष्टि करते हैं कि उन्होंने दो दिन में 27 पोस्टमॉर्टम किए हैं। शुक्रवार को, द इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर को गौशाला में 30 ताजी लाशें देखने को मिलीं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, उन्होंने शुक्रवार को ‘कुछ गलत’ महसूस किया जब जेसीबी गहरे गड्ढे खोदते और ट्रैक्टर में गायों के अवशेष ले जाते दिखे। राजपुर गांव के सरपंच पति शिव राम साहू का कहना है, ”इससे पहले, उन्होंने कभी किसी को गौशाला में घुसने नहीं दिया था। लेकिन जब हमने यह सब सुना तो हम अंदर गए और गायों की लाशें देखीं। जो बची हैं, उनके खाने-पीने को कुछ नहीं है।”
मौतों की खबर आई तो हंगामा हो गया। पिछले दो दिन में राज्य के पशु चिकित्सा विभाग के कई डॉक्टर व अधिकारी यहां आ चुके हैं। धमधा के एसडीएम राजेश पात्र कहते हैं, ”हम मामले की जांच कर रहे हैं और कानून के मुताबिक कार्यवाही की जाएगी। मैं आपको मृत गायों की निश्चित संख्या नहीं बता सकता। लेकिन शुरुआत में ऐसा लगता है कि उनकी मौत चारे-पानी की कमी की वजह से हुई। अब हमने उनके खाने-पीने का इंतजाम कर दिया है।”
खुद पर लगे आरोपों का जवाब देते हुए वर्मा ने कहा, ”मैं 2010 से इस गौशाला को चला रहा हूं। मैं निराधारा आरोपों का जवाब नहीं दे सकता मगर पिछले दो दिन में सिर्फ 16 गायों की मौत हुई है। यहां की गायें बूढ़ी और कमजोर हैं और चारे-पानी की कोई कमी नहीं है। मैंने कुछ गलत नहीं किया है। दो दिन पहले बारिश हुई थी और एक दीवार गिर गई जिससे उनकी मौत हो गई।”
हालांकि पशु चिकित्सकों की एक पांच सदस्यीय टीम के अनुसार, गायों की मौत दीवार गिरने से नहीं हुई। टीम के सदस्य डॉ एमके चावला ने बताया, ”ये साफ है कि ये मौतें चारे-पानी की कमी के चलते हुई हैं। जब हम उन्हें खिला रहे थे तो वे ऐसे खा रही थी जैसे कई दिन से नहीं खाया हो। कल से जब हम यहां आए हैं, तो हालात बेहतर हुए हैं।”
वर्मा इसके बाद सरकारी एजेंसियों और गौशाला की माली हालत पर ठीकरा फोड़ते हैं। उनके अनुसार, ”यहां 220 गायें होनी चाहिए, मगर 600 हैं। सरकार को मुझे हर साल 10 लाख रुपये गौशाला चलाने के लिए देने होते हैं, लेकिन उन्होंने दो साल से कोई पैसा नहीं दिया है। मुझे पिछले साल के बाद से 10 लाख रुपये नहीं मिले हैं जबकि आपको हर तीन महीने पर कुछ पैसा देना पड़ता है। मुझे इस साल पैसा नहीं मिला। मैंने दिसंबर और मार्च में छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग को इस बारे में लिखा भी था।
आयोग के डॉ पाणिग्रही कहते हैं कि गौशाला जिस तरह से चलाई जा रही थी, उसे देखते हुए भुगतान रोक दिया गया था। मामले में आईजी रेंज दीपांशु काबरा का कहना है, ”एक एफआईआर दर्ज कर वर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया है।”