14.1 C
Indore
Friday, November 22, 2024

चर्चित रहने के लिए गालियाँ पाना जरूरी

media

क्या करूँ, क्या न करूँ- इस बारे में सोचने पर कोई ऐसा हल नहीं निकलता है, जो वर्ग-जाति, पेशा विशेष के लोगों को खुश कर सके। कुछ न लिखूँ, तो रहा नहीं जाता है। अर्सा हो गया लिखते-लिखते शतकीय उम्र का चौथा स्टेज आने में एक दशक का समय है, तब तक चाहता हूँ कि जितना हो सके लिख डालूँ। यही सोचकर लिखने का कार्य जारी रखा है। 

बीते दिनों एक युवा पत्रकार/लेखक से वार्ता हुई तो उसने बताया कि वर्ण-व्यवस्था में शीर्ष पर रहने वाली कौम उसके लेखों को पढ़कर गालियाँ देती है, हकीकत यह है कि जो व्यवस्था के नियमों के तहत हो रहा है उससे इस हाईटेक युग में समाज का भला नहीं होने वाला है, अपितु अब उसका कुप्रभाव ही अपना असर दिखाएगा। पुरानी व्यवस्था/नियमों के दुष्परिणाम से देश/समाज का बड़ा अहित होगा।

मैंने कहा डियर अभी तक लोग खामोश थे, चलो यह बढ़िया रहा कि तुम्हारे लेख ने उनको ‘बाचाल’ बना दिया। अभी कुछ दिन गालियाँ खा लो फिर वे लोग स्वयमेव शान्त हो जाएँगे। तुम पढ़े-लिखे हो, अपने विचार मीडिया में जरूर आलेख के रूप भेजा करो प्रकाशन होने पर प्रतिक्रिया स्वरूप तुम्हारी ‘गुमनामी’ समाप्त होगी और तुम जल्द ही लोगों (पढ़े-लिखे) की जुबान पर रहोगे। वह खामोश होकर सुनता रहा। मैं जान गया कि इसकी सोच का पक्षधर मैं भी हूँ। इसके विचार जनजागृति पैदा करने वाले हैं, लोगों को जागृत होने की आवश्यकता है, तभी समाज/देश का विकास सम्भव होगा। सारी विसंगतियाँ दूर होंगी खुशहाली आएगी। इस पत्रकार/लेखक के लेख समाज के सुसुप्तावस्था में रहने वालों के लिए प्रातः कालीन मस्जिदों में होने वाली अजान और मुर्गे की बाँग ही कहे जाएँगे।

एक बात तो मेरी समझ में बखूबी आती है वह यह कि पश्चिमी देशों के अलावा वे देश जहाँ जातिवाद का प्रकोप नहीं है, वे विकसित देशो की श्रेणी में आते हैं। एक हमारा देश है जहाँ अनगिनत जाति धर्म के लोग रहते हैं। उसका परिणाम यह है कि लोकतंत्रीय प्रणाली से संचालित होने वाले भारत जो इण्डिया है को विकासशील देश ही कहा जाता है। 21वीं सदी-इलेक्ट्रॉनिक युग चल रहा है। अन्य देशों पर नजर डालिए या उनके बारे में पढ़िए तो पता चला जाता है कि वाकई हमारा देश उनसे काफी पीछे है।
विकसित देशों में अमूमन दो श्रेणी के लोग होते हैं एक उच्च, दूसरा निम्न (जिसका प्रतिशत नाम मात्र को है) हमारे देश में तीन श्रेणियो में लोग बाँटे गए हैं- उच्च, मध्य और निम्न। व्यवस्था भी उसी तरह दी गई है। ऐसी व्यवस्था देने वाली सरकार गुड गवर्नेंस कही जाती है। उच्च वर्ग पैसा रखने का स्थान नहीं तलाश पा रहा है। निम्न वर्ग के पास पेट भरने की मोहताजी है और मध्यम वर्ग हमेशा रोना रोता है कि ‘मिडिल क्लास’ के लोगों के सामने ही सभी प्रॉब्लम्स हैं।

मेरी समझ में अब यह आने लगा है कि यदि देश की आबादी तीन श्रेणियों में बँटी न होती तब यहाँ का लोकतन्त्र स्वस्थ कैसे होता? तात्पर्य यह कि ‘मिडिल क्लास’ के लोग राजनीति के जरिए समाज सेवा करने के लिए हमेशा उद्यत रहते हैं, उनका पोषण उच्च वर्गीय लोग करते हैं ‘वोट’ निम्न वर्ग के लोग देते हैं- इस आशा-विश्वास और प्रत्याशा में कि यदि उनके द्वारा समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीतेगा तो सरकार में उसकी गरीबी दूर करने के लिए कानून बनाएगा। बस यही क्रम 68 वर्षों से इस देश में चला आ रहा है। परिणाम सबके सामने है- वही ढाक के तीन पात। स्थिति यह कि परिस्थिति में कोई तब्दीली नहीं हो पाती है।

मेरे इस लेख में कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसे नया/नई कहा जाए। वर्ण-व्यवस्था जिसे मनुवादी व्यवस्था भी कहा जाता है। आज के परिप्रेक्ष्य में एक दम से विप्लवकारी सी हो गई है। वर्ण व्यवस्था कर्मानुसार बनाई गई थी परन्तु अब उसके चारों वर्णों में भी श्रेणियाँ बनने लगी हैं। दबे-कुचले शोषित समाज के लोग जिनमें कभी शिक्षा एवं जागरूकता का अभाव था अब के संदर्भ में उनमें क्रान्तिकारी सोचन उत्पन्न होने लगी है, जिसका लाभ कुछेक शासक बनकर उठाने लगे हैं। यह अत्यन्त शोचनीय है।
अपना मानना है कि जो लोग मनुवादी व्यवस्था के विरोध में हैं उन्हें भी चाहिए कि वे वंचित समाज के लोगों को स्वार्थी/सत्तालोलुपों के चंगुल में जाने से बचाएँ और जब ऐसा होगा तभी सही मायने में उनके लेखन की सार्थकता सकारात्मक कही जाएगी। यहाँ बताना चाहूँगा कि वह युवा पत्रकार/लेखक दलित जाति का है और दलितों/शोषितों पर हुए और हो रहे अत्याचार का विरोध उसके लेखन में ‘मुखर’ हो जाता है। वह मनुवादी व्यवस्था का प्रबल विरोधी है, किसी हद तक मैं उसके इस विरोध का समर्थन करता हूँ परन्तु मुझे भय है कहीं दलित शोषित समाज का उसी वर्ग के लोग शोषण न शुरू कर दें।

जातिवाद को बढ़ावा कब से शुरू हुआ? परिवाद की नींव किसने रखी इन दोनों वादों का दुष्परिणाम यह रहा कि देश का सर्वांगीण विकास नहीं हो सका है- इस तरह के वादों पर यदि नियंत्रण नहीं लगा तो देश का लोकतंत्र धन्न सेठों का साम्राज्यवाद बन जाएगा। यदि ये दोनों वाद फूले/फलेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब लोकतंत्र ‘रेगिस्तान’ (मरूभूमि) होकर रह जाएगा। यह स्थिति कितनी भयावह होगी इसका अन्दाजा लगा पाना मुश्किल सा है।

बेहतर होगा कि देश को जातिवाद, परिवारवाद से मुक्ति दिलाने का प्रयास हो। राजनीति के माध्यम से तथाकथित समाजसेवी बनने का स्वांग करने वालों (बगुलाभक्तों) के मुखौटे उतारने होंगे उनकी वास्तविकता पहचानने की जरूरत है। क्या सही, क्या गलत है इस अन्तर को भी अच्छी तरह समझने का समय आ गया है। दलित, शोषित समाज का ही नहीं समूचे देश के हर वर्गीय लोगों को स्वस्थ लोकतंत्र की परिभाषा समझने की जरूरत है। इसके लिए शिक्षित होना नितान्त आवश्यक है।
Bhupendra Singh

-डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी

Email- bhupendra.rainbownews@gmail.com

 

Related Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

IND vs SL Live Streaming: भारत-श्रीलंका के बीच तीसरा टी20 आज

IND vs SL Live Streaming भारत और श्रीलंका के बीच आज तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज का तीसरा व अंतिम मुकाबला खेला जाएगा।...

पिनाराई विजयन सरकार पर फूटा त्रिशूर कैथोलिक चर्च का गुस्सा, कहा- “नए केरल का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा”

केरल के कैथोलिक चर्च त्रिशूर सूबा ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनके फैसले जनता के लिए सिर्फ मुश्कीलें खड़ी...

अभद्र टिप्पणी पर सिद्धारमैया की सफाई, कहा- ‘मेरा इरादा CM बोम्मई का अपमान करना नहीं था’

Karnataka News कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सीएम मुझे तगारू (भेड़) और हुली (बाघ की तरह) कहते हैं...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
136,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...