नई दिल्ली : “बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी, मेहनत एक दिन जरूर रंग लाएगी” इसी सोच को आगे लेकर चल रहे हैं मौलाना आज़ाद इंस्टिट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज के पूर्व कंसलटेंट डॉ. सुमित दुबे। जिन्होंने हंसना यानि हेल्थी अफोर्डेबल सोल्युशन नेशनली फॉर आम आदमी, योजना के तहत बहुत ही कम खर्च में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह डेंटल चिकित्सा कैंप लगाने और डेंटल क्लिनिक खोलने का जिम्मा उठाया है। इस योजना के तहत जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और दिल्ली में डेंटल चिकित्सा कैंप लगाने शुरू किए जा चुके हैं और बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में यह डेंटल चिकित्सा कैंप लगायें जायेंगे और जल्द से जल्द चिकित्सालय की सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी।
इन्होने ग्रामीण क्षेत्रों में डेंटल चिकित्सा कैंप लगाकर न केवल लोगों का समय बचाया है बल्कि कम पैसों में इलाज़ देकर उनका पैसा भी बचाया है। 4 वर्षों से चल रहे इस मुहिम में 135 गांव, 80 से ज्यादा विद्यालय, 130 से ज्यादा सार्वजनिक बैठक, और 2 लाख से ज्यादा मरीज देखे जा चुके हैं। इस योजना के आलावा डॉ. सुमित दुबे एंटी टोबैको अभियान, एंटी कैंसर अवेयरनेस अभियान, और नेशनल ओरल हाइजीन कैंपेन इंडिया जैसे कई अभियान चला रहे हैं। जैसा कि हम जानते है गांव हमेशा से ही पिछड़े रहे हैं चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या चिकित्सा का, ऐसे में इस सार्थक प्रयास की सख्त ज़रूरत है।
डॉ. सुमित दुबे की माने तो गांवों में ओरल कैंसर, दांतों में सड़न की समस्या बढ़ती जा रही है, इसलिए पूर्व जांच के लिए हर गांव में कम से कम एक चिकित्सालय का होना जरूरी है। उनका कहना है कि अपनी प्रैक्टिस के दौरान बहुत से ऐसे ग्रामीण मरीजों का ईलाज किया है, जिन्हें ओरल कैंसर या डेंटल प्रोब्लम्से थी। हंसना एक अभियान भर नहीं है बल्कि एक ऐसी अनूठी पहल है जिससे समाज के कल्याण के साथ-साथ इंसानियत के लिए भी एक खास संदेश छोड़ती है। और इसी के साथ-साथ हम सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के बारे में भी गांव वासियों को जागरूक करते हैं।
गावों में स्वास्थ के प्रति जागरूकता आज भी कम है। ऐसे में अगर लोग जागरूक हो जाएं और इस पहल के तहत काम करे तो हर वर्ग को स्वास्थ लाभ मिलेगा। तभी एक स्वमस्थर भारत के साथ-साथ विकसित भारत बन पाएगा।
रिपोर्ट @आकांक्षा भारद्वाज