नई दिल्ली : राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की हार तो पहले से तय मानी जा रही थी लेकिन इतनी बुरी हार जरूर चौंकाती है। कहां तो विपक्षी दल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एकजुटता की हवा बनाने की कोशिश कर रहे थे और कहां अब अपना-अपना घर ही नहीं संभलने की बात बेपर्दा हो गई है। वैसे विपक्षी एकजुटता थी कहां? वोटिंग से पहले ही इसकी तब हवा निकल गई जब बीजेडी, जेडीएस, जेएमएम, वाईएसआर कांग्रेस जैसे कई गैर-एनडीए दल द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में आ गए। लेकिन बचे विपक्षी दलों में जिस पैमाने पर क्रॉसवोटिंग हुई है वह हौसला तोड़ने जैसा है। गठबंधन की बाद तो तब आएगी जब खुद का घर सही-सलामत रहे।
द्रौपदी मुर्मू को सांसदों, विधायकों के कुल 2,824 वोट मिले जिनका मूल्य 6,75,803 रहा। विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 1,877 वोट मिले जिनका मूल्य 3,80,177 रहा। मूर्मू कुल वैध मतों का 64 प्रतिशत पाने में कामयाब रहीं। सिन्हा को कुल वैध मतों का 36 प्रतिशत ही मिल पाया।
समीकरण अपने पक्ष में न देखकर यशवंत सिन्हा ने सांसदों और विधायकों से अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने की अपील की थी। राष्ट्रपति चुनाव में विप लागू नहीं होता यानी क्रॉस वोटिंग को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती लिहाजा अंतरात्मा की आवाज सुनना बहुत आसान है। लेकिन सिन्हा शायद अपनी समर्थक पार्टियों के सांसदों, विधायकों की ही अंतरात्मा की आवाज भांप पाने में नाकाम रहे। 18 राज्यों के 143 सांसदों, विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। इनमें 126 विधायक और 17 सांसद हैं।
द्रौपदी मुर्मू का चेहरा एनडीए के लिए निर्णायक साबित रहा। बीजेपी के आदिवासी कार्ड से विपक्ष चारों खाने चित हो गया। राष्ट्रपति चुनाव भी वोट बैंक साधने का जरिया हो सकता है, ये इस बार साफ तौर पर देखने को मिला। द्रौपदी मुर्मू के तौर पर देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिला है।
असम में सबसे ज्यादा 22 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश रहा जहां कांग्रेस के पास आदिवासी विधायकों की अच्छी-खासी तादाद है। एमपी में 19 विधायकों ने मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की।
महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुट पहले से ही मुर्मू के पक्ष में थे लेकिन वहां भी उनके पक्ष में 16 अतिरिक्त वोट पड़े। इससे संकेत मिलता है कि कांग्रेस और एनसीपी में भी भविष्य में शिवसेना की तरह टूट या पालाबदल का खेल हो सकता है।
इसी साल असम में बीजेपी को राज्य सभा की एक अतिरिक्त सीट दिलाने में मदद करने वाले मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने ट्वीट किया, ‘126 विधानसभा सीटों वाले असम में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में 104 वोट पड़े जबकि एनडीए के पास असल में 79 वोट ही थे। दो अनुपस्थित रहे।’
यशवंत सिन्हा का सबसे निराशाजनक प्रदर्शन तो उनके अपने ही गृह राज्य में रहा। झारखंड के कुल 81 वोटों में से उन्हें सिर्फ 9 वोट ही मिल सके। दूसरी तरफ मुर्मू को अपने गृह राज्य ओडिशा के 147 वोटों में से 137 वोट मिले।
गुजरात में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन वहां भी कांग्रेस के 10 विधायकों ने मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने वाली कांग्रेस के लिए ये क्रॉस वोटिंग कहीं से कोई शुभ संकेत नहीं है।
देश में फिलहाल 776 चुने हुए सांसद और 4033 विधायक हैं। इनमें से 3991 विधायकों और 763 सांसदों ने वोट डाले जिनमें से 53 वोट अमान्य रहे। इनमें 15 सांसद और 38 विधायक शामिल हैं। एमपी और पंजाब में 5-5 विधायकों के वोट अमान्य हुए। कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दिल्ली के 4-4, यूपी के 3, बिहार के 2 और हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मेघालय, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड और पुदुचेरी के 1-1 वोट अमान्य हुए। 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में 77 वोट अमान्य हुए थे।