लखनऊ (शाश्वत तिवारी)। बेतहाशा मूल्य वृद्धि और महंगाई से जनता परेशान हो रही है। सरकार में बैठे सत्तापक्ष के लोग जनता की कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं। जनता महंगाई की मार से बेहाल हो गयी है। सामान्य खाने-पीने की वस्तुये भी आम नागरिको के बजट से बाहर हो गई हैं। सरकार को इस खाद्यान्न संकट को गंभीरता से लेना चाहिए, ये कहना है गांधीवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा का आज उन्होंने पेट्रोल-डीजल, गैस सिलेंडर की मूल्य वृद्धि के विरोध में देवा रोड, बारा बंकी स्थित गांधी भवन में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष उपवास रखकर व्यक्तिगत सत्याग्रह किया।
श्री शर्मा ने कहा कि महंगाई व बेरोजगारी से बेहाल जनता की कोई सुध नहीं ले रहा है। चुनाव आने से पहले मुफ्त खाद्यान्न वितरण करके सरकार अपनी नाकामियों को छुपाना चाह रही है। केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने हुए 07 साल बीत चुके हैं। देश की जनता अच्छे दिन का इंतजार करते-करते थक चुकी है, पर अच्छे दिनों ने तो आने का नाम ही नहीं लिया। महंगाई से बेहाल जनता निराश और आक्रोशित है। आम आदमी को राहत देने की कोई नहीं सोच रहा।
उन्होंने कहा कि महंगाई बढ़ रही है, लेकिन आम आदमी की आय नहीं। जीवन उपयोगी वस्तुओं के दामों में लगातार बढोतरी होने से घर का पूरा बजट प्रभावित हो रहा है। डीजल और पैट्रोल के दाम जब बढेंगे तो खाद्यान्न के दाम अवश्य बढेंगे। जिन्हें नियन्त्रित किया जाना चाहिये। सरकार को इस मामले में कोई उचित कदम उठाना चाहिए। उन्होनें सरकार से बढी महंगाई से राहत दिलाने की मांग की है।
श्री शर्मा ने कहा कि सरकार दाम तो बढ़ा देती है, लेकिन व्यवस्था सुधार के लिए कोई काम नहीं कर रही है। महंगाई में घर चलाना मुश्किल हो रहा है। व्यवस्था सुधार पर जोर होना चाहिए था। मुख्यमंत्री को आम आदमी की पीड़ा समझते हुए राज्य में वैट एवं अन्य दरों को को वापस लेना चाहिए। आम आदमी पहले ही कोरोना संकट से लड़ रहा है।