GST तंत्र में परिवहन के लिए इलेक्ट्रॉनिक परमिट यानी ई-वे बिल की अनिवार्यता से करीब डेढ़ सौ आम इस्तेमाल की वस्तुओं को छूट दी गई है।
आम इस्तेमाल की वस्तुओं में इलेक्ट्रॉनिक परमिट यानी ई-वे बिल की अनिवार्यता से करीब डेढ़ सौ आम इस्तेमाल की वस्तुओं को छूट दी गई है।एलपीजी, केरोसिन, ज्वैलरी और करेंसी शामिल हैं। एक जुलाई से लागू जीएसटी व्यवस्था के तहत 50 हजार रुपये से ज्यादा मूल्य की वस्तुओं के परिवहन के लिए ई-वे बिल हासिल करना अनिवार्य है। यह नियम कर चोरी रोकने के लिए लागू किया जा रहा है।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले पांच अगस्त को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में आम इस्तेमाल की 153 वस्तुओं को ई-वे बिल से छूट दी गई है। इन वस्तुओं के लिए बिल लेना अनिवार्य नहीं होगा।
इन वस्तुओं में फल व सब्जियां, ताजा दूध, शहद, बीज, अनाज व आटा, जीवित पशु, सुअर और मछली शामिल हैं।
इस सूची में पान, गैर अल्कोहल वाली ताड़ी, कच्चा रेशम, खादी, मिट्टी के बर्तन, मिट्टी के लैंप, पूजा सामग्र्री और श्रवण उपकरण, मानव बाल, फ्रोजन व सामान्य सीमेन, कंडोम और गर्भ निरोधक वस्तुएं भी शामिल हैं।
अधिकारी ने बताया कि घरेलू इस्तेमाल के लिए रसोई गैस और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिक्री के लिए केरोसिन को भी ई-वे बिल से छूट मिलेगी।
डाक के बैग, करेंसी, ज्वैलरी और प्रयुक्त व्यक्तिगत और घरेलू वस्तुओं के परिवहन के लिए ई-वे बिल नहीं लेना होगा। नियम के मुताबिक अगर कोई वस्तु गैर मोटर वाहन से ले जाई जा रही है तो भी बिल नहीं लेना होगा।
अंतरराष्ट्रीय पोर्ट से अंदरूनी पोर्ट पर कस्टम्स द्वारा क्लियरेंस के लिए ले जाये जाने वाले कंसाइनमेंट के लिए ई-वे बिल अनिवार्य नहीं होगा। अगर परिवहन वाले माल का मूल्य 50 हजार रुपये या इससे कम है तो इसके लिए ऑनलाइन ई-वे बिल लेना वैकल्पिक होगा।
ऑनलाइन ई-वे बिल के लिए जीएसटी का सॉफ्टवेयर तैयार होने के बाद केंद्र सरकार इस व्यवस्था को लागू करेगी। संभवतः ई-वे बिल की व्यवस्था अक्टूबर से लागू हो सकती है।
ई-वे बिल में परिवहन योग्य माल का विवरण, शुरुआती और गंतव्य स्थान, सप्लायर, प्राप्तकर्ता और ट्रांसपोर्टर की जानकारी देनी होगी।
अधिकारी के अनुसार अगर कोई वस्तु राज्य के भीतर दस किलोमीटर से कम दूरी के लिए ले जाई जा रही है तो भी ई-वे बिल की जरूरत नहीं होगी। सक्षम अधिकारी परिवहन वाहन को रोककर ई-वे बिल की जांच कर सकेंगे।
जिससे माल की सप्लाई पर अधिकारी नजर रख सकें। ज्यादातर राज्य चैक पोस्ट खत्म कर चुके हैं, ऐसे में कर चोरी रोकने के लिए ई-वे बिल और मार्ग में उनकी जांच अहम हो जाती है।
चैक पोस्ट हटाने का मकसद माल का परिवहन सुगम करने और परिवहन का समय घटाना था।