Ebola Virus: इबोला के फैक्ट्स 27 जून यानी आज ही के दिन सुडान के नजरा शहर में एक फैक्ट्री में काम करने वाला स्टोरकीपर बीमार पड़ गया। ठीक 5 दिन बात उसकी मौत हो गई। यह साल 1976 की बात है। यहीं वह वक्त था जब दुनिया ने पहली बार इबोला वायरस के कहर को देखा। जल्दी ही इसने करीब 284 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया।
इनमें से आधी की मौत हो गई। स्टोरकीपर की मौत के बाद उसी शहर में 6 जुलाई को एक और आदमी चल बसा। उस आदमी के भाई को भी हॉस्पीटल में भर्ती होना पड़ा। उसने इस बीमारी से लड़ाई जीत ली। लेकिन उसके भाई के एक कलीग ने 14 जुलाई को दम तोड़ दिया। इसके बाद देखते-देखते ऐसे मामले बढ़ते चले गए।
शुरुआती दिनों में इबोला का खौफ ऐसा था कि डॉक्टर भी नहीं समझ पाए और हॉस्पीटल में काम करने वाले भी इसके शिकार होने लगे। दक्षिणी सुडान के मरिडी हॉस्पिटल की 61 में से 33 नर्सें इस बीमारी से जिंदगी गंवा बैठी।
एड्स भले ही एक खतरनाक बीमारी में गिना जाता हो, इबोला को एक मायने में उससे भी खतरनाक कहा जाता है। इबोला से पीड़ित होने पर मरीज की कुछ ही दिनों में मौत हो जाती है। मौत से पहले पीड़ित के शरीर में तेजी से इंटर्नल और एक्सटर्नल ब्लीडिंग होने लगती है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत के सिर्फ एक व्यक्ति की मौत इबोला के कारण हुई है। फार्मेसी ऑफ लाइबेरिया में काम कर रहे मोहम्मद आमिर नाम के शख्स की पिछले साल 7 सितंबर को मौत हो गई थी। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने उनके परिवार को आधिकारिक तौर पर इसकी सूचना दी थी, लेकिन उसका अंतिम संस्कार लाइबेरिया में ही कर दिया गया था।
अमेरिका के मिशिगन यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर की मानें तो इबोला एथेंस में करीब 2400 साल पहले ही सामने आ गया था। हालांकि उनके दावे की स्वतंत्र तौर पर पुष्टि नहीं हो सकी। लेकिन डेली मेल की रिपोर्ट में संक्रामक रोगों के प्रोफेसर पॉवेल कजांजी ने कहा था, ‘एथेंस में 2400 साल पहले आए महामारी में जो लक्षण देखे गए, वह इबोला से काफी हद तक मिलते हैं। एजेंसी