मुंबई- शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में एक बार फिर बीजेपी निशाने पर है। पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे ने दिए विवादास्पद बयान को लेकर बीजेपी के अंदरुनी राजनीती पर व्यंग किया है। खडसे ने अपने इस्तीफे के बाद पहली बार खुलकर बयान दिया है जिसको सामना में ‘नाथाभाउ का मनोगत’ कहा गया है।
खडसे ने अपना मन हल्का किया लेकिन सही समय पर गोपनीय बाते उजागर करूँगा तो देश में हड़कंप मच जाएगा ऐसी चेतावनी भी दी है. आगे सामना में लिखा है की, खडसे के बयान उनके दल का अंदरुनी मामला है और हम इसमें नही पड़ेंगे। लेकिन, खडसे जब विस्फोट करेंगे तब पार्टी प्रबंधन को सावधान रहना होगा।
बीजेपी के विकास के लिए खडसे ने अपार परिश्रम तो किया लेकिन, जलगाव में सत्ता का गलत इस्तेमाल कर कई शिवसैनिकों पर वार किया। हमारे शिवसैनिकों ने उनका भली-भांति मुकाबला किया. शिवसेना से युति तोड़ी इसलिए बीजेपी का मुख्यमंत्री बना, लेकिन खडसे के हिस्से में क्या आया? ऐसा सवाल खडसे ने किया है।
खडसे ने युति तोड़ने के लिए पहला कदम उठाया था क्योंकि तब मोदी की लहर थी. जिस लहर में कुंड भी तर गए. युति नहीं टूटी होती तो शिवसेना का मुख्यमंत्री होता ऐसा आज खुद खडसे कह रहे है. अगर शिवसेना का मुख्यमंत्री हुआ होता तो खडसे के पीठ में इस तरह का वार नहीं होता. क्योंकि शिवसेना पीठ में वार करने वालों की औलाद नहीं।
दाऊद से संबंध जोड़कर खडसे के देशभक्ति पर ही कलंक लगाने जैसा मामला है, उनपर ये अन्याय है. लेकिन, उनकी नहीं सुनी गई, ये उससे भी बड़ा अन्याय है. ये सत्य कहने की हिम्मत हममें है। इस पर खडसे के दल के किसी को भी आपत्ति होगी तो उन्हें चिल्लाने और सामना जलाने की धमकी देने की पूरी स्वतंत्रता है।