गुजरात में चुनाव तारीखों की घोषणा में देरी को लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर जमकर हमला बोला है। पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर तंज कसा कि चुनाव आयोग छुट्टी पर है और जब गुजरात सरकार हर तरह की छूट का ऐलान कर लेगी तब जाकर वह चुनाव की तारीखों का ऐलान करेगा।
चिदंबरम यहीं नहीं रुके और तंज कसते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने पीएम मोदी को ऑथोराइज किया है कि वे अपने आखिरी रैली में चुनाव की तारीख का ऐलान कर दें और चुनाव आयोग को इसकी जानकारी दे दें।
रुपाणी का पलटवार
चिदंबरम के ट्वीट पर गुजरात सीएम विजय रुपाणी ने कहा कि ऐसा लगता है कि पी. चिंदबरम और कांग्रेस पार्टी गुजरात चुनाव से डर रहे हैं।
क्यों उठ रहे हैं सवाल
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए तारीख का ऐलान किया था लेकिन गुजरात चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया गया था। हिमाचल में एक ही चरण में 9 नवंबर को मतदान होगा लेकिन मतगणना 18 दिसंबर को होगी। मतदान और मतगणना के बीच 40 दिनों के अंतर को लेकर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए थे। माना जा रहा है कि गुजरात में मतदान 18 दिसंबर से पहले ही होगा और दोनों राज्यों में एक ही साथ मतगणना होगी। कांग्रेस का आरोप है कि गुजरात में चुनावी वादों और घोषणाओं के लिए सरकार को मौका देने के लिए तारीखों का ऐलान नहीं किया जा रहा है।
चुनाव आयोग का तर्क
मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति से जब पूछा गया कि परंपरा को तोड़ते हुए वे गुजरात और हिमाचल प्रदेश का चुनाव कार्यक्रम एक साथ घोषित क्यों नहीं कर रहे तो उनका जवाब था कि दोनों प्रदेशों में मतगणना एक ही दिन यानी 18 दिसंबर को होगी। आयोग का ये भी कहना है कि हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी से पहले मतदान कराने के लिए 9 नवंबर का दिन तय किया गया है।
2012 का क्या है कनेक्शन!
आयोग की घोषणा पर वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने कहा कि 2012 में अप्रैल के पहले हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ था और हिमाचल और गुजरात का चुनाव कार्यक्रम एक साथ घोषित हुआ था। तब हिमाचल में चार नवंबर को वोटिंग हुई थी लेकिन मतगणना 20 दिसंबर को हुई थी. गुजरात में तब दो चरणों में वोटिंग हुई थी और 13 व 17 दिसंबर को वोट डाले गए थे।
नीलांजन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने इस बात पर नाखुशी जाहिर की थी कि लंबे चुनावी शेड्यूल की वजह से विकास कार्यों पर असर पड़ता है क्योंकि चुनावी अधिसूचना जारी रहती है। पीएम मोदी इस समय ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ कैंपेन की वकालत करते रहे हैं, उसके मूल में भी उनकी यही सोच है। हालांकि मतगणना हिमाचल और गुजरात दोनों की एक साथ 18 दिसंबर को होगी।
कांग्रेस ने EC के फैसले पर जताई हैरानी
कांग्रेस ने चुनाव आयोग के फैसले पर हैरानी जताई थी और कहा था कि आयोग का निर्णय समझ से परे हैं। अगर गुजरात में चुनाव में देरी होगी तो सत्ता में जो पार्टी है उसे जनता को लुभाने के लिए आधारहीन और गैरजरूरी लोकलुभावन घोषणाएं करने का वक्त मिल जाएगा जो चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकता है।
बचाव में बीजेपी ने क्या कहा?
हालांकि बीजेपी प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने चुनाव आयोग के फैसले का बचाव किया था और कहा कि दोनों राज्यों के चुनाव साथ घोषित नहीं हो सकते क्योंकि हिमाचल विधानसभा का सत्र 7 जनवरी को खत्म होगा। जबकि गुजरात का 21 जनवरी को होगा। उन्होंने कहा कि लोकलुभावन घोषणाएं तो कोई भी सरकार पहले भी कर सकती है। उसके लिए अंतिम दिनों का इंतजार करने की जरूरत नहीं रहती।