नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी के भीतर चुनाव चिन्ह को लेकर चल रहे विवाद पर चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। चार घंटे तक मुलाकात के बाद आयोग ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। पार्टी के भीतर दोनों पक्षों से मुलाकात के बाद आयोग जल्द ही अपना फैसला बाद में सुनाएगा। आयोग में आज सपा के दोनों पक्ष पहुंचे थे और आखिरी बार अपना पक्ष रखा। अखिलेश यादव की ओर से रामगोपाल यादव ने आज चुनाव आयोग से दोबारा मुलाकात का समय भी मांगा था। अखिलेश यादव कैंप की दलील सुनने के बाद आयोग अब मुलायम सिंह यादव का पक्ष सुन रहा है, माना जा रहा है मुलायम खेमे का पक्ष सुनने के बाद आयोग पार्टी के अंदर चुनाव चिन्ह के विवाद पर अपना अंतिम फैसला देगा।
मुलायम सिंह ने आयोग के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जिस अधिवेशन में अखिलेश यादव को अध्यक्ष बनाया गया वह अवैध था, क्योंकि पार्टी का अधिवेशन निष्कासित सदस्य नहीं बुला सकता है, रामगोपाल यादव को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था, लिहाजा उनके द्वारा बुलाई गई अधिवेशन की कोई मान्यता नहीं है। इसके अलावा मुलायम ने कहा कि दूसरे पक्ष ने उन्हें पार्टी से बाहर नहीं निकाला है और उन्होंने मुझे मार्गदर्शक मंडल में रखा है, ऐसे में पार्टी के भीतर किसी तरह का विवाद नहीं है।
आपको बता दें कि गुरुवार को चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों से मुलाकात की थी। अखिलेश यादव की ओर से उनका पक्ष रखते हुए एक बार फिर से उन्होंने इस बात को दोहराया कि सपा पर अखिलेश यादव का अधिकार है और पार्टी के चुनाव चिन्ह पर भी उन्ही का अधिकार है।बहरहला यहां समझने वाली बात यह है कि अगर पार्टी के चुनाव चिन्ह पर आयोग स्थिति साफ नहीं कर सका तो मुमकिन है कि साइकिल चुनाव चिन्ह दोनों ही पक्षों से छिन जाए। पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि अगर दोनों गुट में से किसी एक ने अगर चुनाव चिन्ह से दावा वापस नहीं लिया तो आयोग साइकिल चुनाव चिन्ह को सीज कर सकता है। चुनाव आयोग के सामने पहले दौर की सुनवाई पर अखिलेश यादव की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बहस की। सिब्बल ने कहा कि अखिलेश यादव के पक्ष में अधिकतर विधायक, सांसद और विधानपरिषद के सदस्य हैं, लिहाजा पार्टी का चुनाव चिन्ह अखिलेश यादव को ही मिलना चाहिए।