देश में हाल में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान पूर्व संप्रग सरकार की नाकामियों को उजागर करने वाले कई आकर्षक नारे गढ़े गए थे। उनमें एक नारा यह भी था- ‘बहुत हुआ नारी पर वार-अब की बार मोदी सरकार’। इस नारे का साधारण व सरल विश्लेषण यही है कि संप्रग सरकार के समय में नारी पर ज़ुल्म,अत्याचार व उसके साथ होने वाली बलात्कार की घटनाओं की अब इंतेहा हो चुकी है। और उसे रोकने के लिए देश को मोदी सरकार की ज़रूरत है। लीजिए आ चुकी है देश में मोदी सरकार।
फिर क्यों नहीं खत्म हो रहा नारी पर वार? केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह फरमा रहे हैं कि हमारी नीयत पर शक मत कीजिए? तो क्या संप्रग सरकार के नेताओं या मंत्रियों की नीयत महिलाओं पर अत्याचार या बलात्कार के प्रति संदिग्ध थी? क्या वह सरकार चाहती थी कि महिलाओं के साथ बलात्कार होते रहें? गत् 5 दिसंबर को दिल्ली में बलात्कार की एक और बड़ी घटना घटी है। गिर$फ्तार आरोपी शिव कुमार यादव इस हादसे को भी निर्भया की तरह बर्बर तरीके से अंजाम देना चाहता था। सरकार ने इस वीभत्स घटना के बाद तत्काल कई ऐसे कथित एहतियाती कदम उठाए हैं जिनको लेकर सरकार के मंत्रियों में ही मतभेद है।
गृहमंत्री ने महानगरों में कैब सेवा उपलब्ध कराने वाली अमेरिकी कंपनी उबर पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत के साथ ही जर्मनी,फ्रांस,थाईलैंड व हालैंड जैसे देशों ने भी उबर कैब सेवा पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया है कि उबर कंपनी आपराधिक पृष्ठभूमि रखने वाले ड्राईवरों को नौकरी पर रखती है तथा अपने ग्राहकों को झूठ बोलकर गुमराह करती है।
भारत सरकार ने राज्य सरकारों को भी निर्देश दिया है कि वेब आधारित टैक्सी सेवा को रोक दिया जाए। परंतु केंद्र सरकार के ही एक दूसरे जि़म्मेदार मंत्री परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सरकार के इन फैसलों पर उंगली उठाते हुए कहा है कि टैक्सी सेवा को प्रतिबंधित करना समस्या का हल कतई नहीं। उन्होंने इस फैसले पर उल्टे यह प्रश्र खड़ा किया है कि यदि रेल में रेप की घटना हो जाए तो क्या रेल परिचालन बंद कर दिया जाएगा? यदि बस दुर्घटनाग्रस्त हो जाए तो क्या बस चलाना बंद कर दिया जाए? निश्चित रूप से गडकरी की बातों में पूरा दम है। उन्हें ईमानदारी से यह भी स्वीकार करना चाहिए कि ऐसे अपराधों के लिए जिस तरह टैक्सी सेवा को दोषी नहीं ठहराया जा सकता उसी तरह सरकारों को भी इसका जि़म्मेदार नहीं कहा जा सकता।
चाहे वह यूपीए सरकार हो या वर्तमान भाजपा सरकार? दो वर्ष पूर्व 16 दिसंबर को हुए दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया कांड के बाद पूरे देश में बलात्कारियों के विरुद्ध सख्त सज़ा और फौरन न्याय की ज़ोरदार मांग उठी थी। बलात्कारियों को फांसी देने की मांग भी की गई थी। सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर उठे इस स्वर का सम्मान करते हुए कानून में कई संशोधन किए। इन दो वर्षों में बलात्कार संबंधी कई फैसले भी आए जिनमें फांसी से लेकर उम्र कैद तक की सज़ाएं सुनाई गईं। परंतु इन सबके बावजूद बलात्कार की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। दिल्ली की बलात्कार की घटनाएं तो मीडिया मुख्यालय होने के चलते टीवी की सु$िर्खयां भी बन जाती हैं और संसद से सडक़ों तक इस की गूंज भी सुनाई देने लगती है। परंतु हकीकत तो यह है कि पूरे देश में प्रतिदिन बलात्कार की दर्जनों घटनाएं होती हैं।
जिनमें कई घटनाएं तो पुलिस रजिस्टर्ड ही नहीं करती और कई लोग अपनी इज़्ज़त बचाने की खातिर पुलिस तक जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। अन्यथा निर्भया जैसे या उससे भी भयानक हादसे देश में होते ही रहते हैं। उदाहरण के तौर पर गत् 25 नवंबर को पंजाब के औद्योगिक नगर लुधियाना की ही दिल दहला देने वाली घटना को देखिए। चार गुंडों ने 16 वर्ष की लडक़ी का 25 नवंबर को पहले अपहरण किया। फिर दो दिनों तक लगातार बड़े ही दुर्दांत तरीके से उस बेचारी के साथ दिन-रात बलात्कार किया। 27 नवंबर को उसे मूर्छित अवस्था में बदमाशों ने उसके घर के पास छोड़ दिया। लडक़ी ने आपबीती अपने परिजनों को बताई। लडक़ी के परिजन लडक़ी को साथ लेकर संबद्ध पुलिस थाने में गए। पुलिस ने उनकी फरियाद नहीं सुनी। और रिपोर्ट लिखने से इंकार कर दिया। पुलिस वाले उल्टे पीडि़त परिवार से ही पैसे मांगने लगे। उन्हें यह समझाने लगे कि तुम लोग कहां मुकद्दमा लड़ते फिरोगे। बहरहाल लडक़ी के घर वाले लुधियाना के पुलिस अधीक्षक के पास गए। एसपी ने हस्तक्षेप कर उनकी रिपोर्ट लिखवाई। परंतु पुलिस ने पीडि़ता की फरियाद व शिकायत के अनुरूप रिपोर्ट नहीं दर्ज की।
बल्कि केवल खानापूर्ति की। बलात्कार व अपहरण जैसी सख्त धाराओं के न लगने के परिणामस्वरूप चारों आरोपियों की फौरन ज़मानत हो गई। पुलिस के इस पक्षपातपूर्ण रवैये से गुंडों का हौसला और भी बढ़ गया। ज़मानत मिलते ही इन बदमाशों ने लडक़ी व उसके परिजनों पर मुकद्दमा वापस लेने के लिए उन्हें डराना-धमकाना शुरु कर दिया। जब लडक़ी व उसके परिजनों ने बलात्कारियों का कहना नहीं माना तो पिछले दिनों यानी 4 दिसंबर को 6 गुंडे लडक़ी के घर में घुस आए तथा पीडि़ता को जि़ंदा जलाकर मार डाला। क्या यह घटना किसी निर्भया कांड से कम है? बल्कि अपराधी व पुलिस की मिलीभगत को देखिए तो यह उससे भी संगीन घटना ज़ाहिर होती है।
परंतु मीडिया की सु$िर्खयों में यह घटना अपनी वह जगह नहीं बना पाई जो निर्भया या दिल्ली में होने वाली बलातकार की अन्य घटनाएं बना पाती हैं। यह घटना भी दिल्ली की नहीं बल्कि दिल्ली से 300किलोमीटर दूर की है। जहां पुलिस बलात्कारियों के विरुद्ध केस दर्ज करने में आनाकानी करती है। जहां पीडि़ता द्वारा बताए जा रहे घटनाक्रम के अनुसार धाराएं नहीं लगाई जाती हों। और परिणामस्वरूप बलात्कारियों को फौरन ज़मानत मिल जाती हो और बलात्कारियों के हौसले इतने बुलंद हों कि वह पीडि़ता को मुकद्दमा वापस न लिए जाने के चलते जलाकर मार डालते हों? यहां क्या आप किसी टैक्सी कंपनी को प्रतिबंधित करके बलात्कार की घटनाओं को रोक सकते हैं?
हास्यास्पद-बेहद हास्यास्पद? उबर कैब सेवा में क्या इससे पहले भी कोई अपराध हुए हैं? फ़र्ज़ी प्रमाणपत्र ड्राईवर ने हासिल कर लिया इसमें भी कौन सी नई बात है? महामहिमों,इस देश में फ़र्ज़ी डिग्री धारक मंत्री,सांसद,विधायक,डॉक्टर क्या नहीं हैं इस देश में? धर्मगुरु,अध्यात्मवादी सब कुछ फ़र्ज़ी हैं। बलात्कार के कितने आरोपी इस समय देश की संसद,विधानसभाओं में विराजमान है? हमारे माननीय सदन में ब्लू फिल्म देखते हैं। स्वयं को भगवान बताने वाले धर्मगुरु अपने शिष्यों की बच्चियों से बलात्कार करते हैं। माननीय,क्या यह सब ‘उबर कैब’ प्रतिबंधित करने से रुकेगा ?
जी नहीं फिर वही बात आती है संस्कारित बच्चों की। जिस प्रकार सुबह-सवेरे हाफ पैंट पहना कर बच्चों को लठ भांजने के संस्कार दिए जाते हैं, उन्हें हिंदू बनाने की सीख दी जाती है। जिस प्रकार अपने बच्चों को धर्म विशेष के प्रति नफरत करना सिखाया जाता है, जिस प्रकार यह बताया जाता है कि अमुक-अमुक धर्म व विचारधारा देश व समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं, उसी प्रकार इन बच्चों को यह भी शिक्षित करना चाहिए कि नारी का सम्मान कैसे करें।
जब तक नारी सम्मान संस्कारों में शामिल नहीं होगा जब तक नारी को अबला,कमज़ोर,भोग्या,बोझ तथा बिस्तर पर प्रयोग करने की वस्तु मात्र ही समझा जाता रहेगा तब तक बलात्कार या नारी उत्पीडऩ की घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है? संप्रग सरकार की विफलता के रूप में नारेबाज़ी कर महिला उत्पीडऩ तथा बलात्कार की जि़म्मेदारी उसके मुंह पर पोतना बेशक बहुत आसान काम था।
भाजपा विशेषकर भाषण के महारथी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावों के दौरान इस काम को बखूबी अंजाम दिया। यहां तक कि निर्भया कांड में सडक़ों पर उतरे जनसमूह को भी इन्हीं शक्तियों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर भरपूर समर्थन भी दिया गया। फिर आखिर जनता को वरगलाने वाले वह नेता तथा भाषण के वही महारथी यह दावा कर सकते हैं कि- अब नहीं होता नारी पर वार? देश में है मोदी सरकार?
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