चेन्नई : तमिलनाडु की सत्ता ‘अम्मा’ के बाद अब ‘चिनम्मा’ के हाथों में जा चुकी है। राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने ई पलानीसामी को गुरुवार शाम 4.30 बजे राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई। उनके अलावा कैबिनेट के 31 मंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण की।
अब उन्हे अगले 15 दिनों में विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना होगा।
इससे पहले राज्यपाल के बुलावे पर पलानीसामी चार और लोगों की टीम के साथ राजभवन पहुंचे और खुद को मिले 123 विधायकों के समर्थन का दावा पेश किया। उनके साथ गए लोगों में राज्य के मंत्री जयकुमार, केए संगोटइया, एसपी वलुमनी, टीटी दिनाकरन और केपी अंजाबगन थे।
वहीं दूसरी तरफ पन्नीरसेल्वम खेमा उनको पार्टी से निकाले जाने के खिलाफ चुनाव आयोग जाने की तैयारी में है ताकि पलानीसामी के हाथों में सत्ता जाने से रोक सके।
इससे पहले बुधवार साम को 7.30 बजे पलानीसामी ने तमिलनाडु के राज्यपाल सी विद्यासागर राव से मुलाकात कर उनसे आग्रह किया कि उन्हें सरकार बनाते का न्यौता दिया जाए। मुलाकात में पलानीसामी ने 124 विधायकों के समर्थन की सूची राज्यपाल को सौंपी थी, जबकि पन्नीरसेल्वम ने दावा किया थी कि उनके पास 8 विधायकों का समर्थन हैं।
इसके चलते राज्यपाल के पास पलानीसामी को आमंत्रित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।’ सूत्र के अनुसार, राज्यपाल ने उन सभी पहुलुओं पर विचार किया है जिनमें कहा जा रहा था कि कई विधायकों को रिजॉर्ट में कैद करके रखा गया है।
उधर, जेल जाने से पहले शशिकला ने अपने उन रिश्तेदारों को फिर से पार्टी में शामिल कर लिया जिन्हें जयललिता ने पार्टी से निकाल दिया था। शशिकला ने अपने भतीजे और पूर्व राज्यसभा सदस्य दिनाकरण को अन्नाद्रमुक का उप महासचिव नियुक्त किया है।
दिनाकरण की नियुक्ति के बाद अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता वी. करप्पासामी पांडियन ने पार्टी के संगठन सचिव पद से इस्तीफा दे दिया। नाराज पांडियन ने जयललिता द्वारा निष्कासित लोगों को फिर से शामिल करने के शशिकला के अधिकार पर सवाल उठाया और कहा कि क्या अन्नाद्रमुक शशिकला की पारिवारिक संपत्ति है।