नई दिल्ली- आम बजट में कर्मचारी भविष्य निधि खाते (ईपीएफ) पर लगने वाले टैक्स और उस पर हो रहे विवाद के बाद अरुण जेटली ने इस फैसले को वापस लेने की घोषणा की है। सरकार ने यह फैसला ईपीएफ पर लगने वाले टैक्स पर चौतरफा दबाव के वापस वापस ले लिया।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अरुण जेटली को यह निर्देश दिया था कि वह इस मामले को जल्द से जल्द निपटा लें जिसका बाद इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि सरकार अपने इस फैसले को वापस ले सकती है। बजट सत्र से बाद ईपीएफ टैक्स पर सरकार के बयान लगातार बदल रहे थे जिसके बाद जेटली ने इस मुद्दे पर संसद में अपना पक्ष स्पष्ट करने की बात कही थी।
मंगलवार को संसद में सरकार का पक्ष रखते हुए अरुण जेटली ने ईपीएफ निकासी पर लगने वाले टैक्स को वापस लेने का ऐलान किया। जेटली के इस ऐलान के बाद नौकरीपेशा लोगों में खुशी की लहर है।
हालांकि एनपीएस पर टैक्स प्रस्ताव बरकरार रखा गया है। एनपीएस पर 40 रकम निकालने पर टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन बाकी 60 फीसदी पर टैक्स लगेगा। वित्त मंत्री ने अपनी सफाई में कहा था कि बुढ़ापे के लिए निवेश को बढ़ावा देने के लिए ईपीएफ पर टैक्स लगाने का फैसला किया गया। साथ ही एनपीएस को पीएफ के मुकाबले आकर्षक बनाने का मकसद था।
ईपीएफ पर टैक्स वापसी को लेकर अपनी दलील देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ मध्यम वर्गीय लोगों में काफी आक्रोश है। जबरदस्ती निवेश के लिए बाध्य करना लोगों को रास नहीं आया और राजनीतिक मजबूरी की वजह से भी फैसला वापस लिया है।