काफी अध्ययन के बाद यह बात सामने आई है कि पीठ दर्द लगभग हर आदमी को उसके जीवन के दौरान कभी न कभी होता है जिससे वह व्यथित और पीडि़त रहता है। सच तो यह है कि पीठ दर्द भागदौड़ से भरी आधुनिक जीवन शैली का आधुनिक उपहार है।
ज्यादातर चिकित्सा विशेषज्ञों की यही राय है कि इस बीमारी के प्रति जागरूक रहना ही इसका सबसे अच्छा इलाज है। 75 से 80 प्रतिशत लोग इस बीमारी से पीडि़त होते हैं लेकिन इसे साधारण समझकर इलाज के लिए किसी चिकित्सक का सहारा न लेकर स्वयं ही इसका इलाज करते रहते हैं और जब वे पूरी तरह से इस रोग की गिरफ्त में आ जाते हैं। तब भागदौड़ शुरू करते हैं।
वास्तव में शरीर के इस दर्द की वजह रीढ़ की हड्डी व उससे जुड़ी मांसपेशियां हैं जिनमें गलत ढंग से बैठने, खड़े होने ओर लेटने के समय आवश्यकता से अधिक दबाव पड़ने से दर्द होने लगता है। प्रायः बच्चे पेट के बल लेट कर पढ़ाई करते हैं या टीवी देखते हैं। जब वह स्कूल में बैंच पर बैठकर काम करते हैं तो गर्दन, सिर व कमर को आगे की तरफ झुका लेते हैं। इस मुद्रा में बैठकर काम करने से पीठ दर्द की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। सच तो यह है कि हम अपनी दिनचर्या के दौरान कमर का बहुत ज्यादा दुरुपयोग करते हैं। हम मेें से ज्यादातर लोग, विशेषकर घरेलू औरतें कोई भी व्यायाम नहीं करतीं। अक्सर घंटों तक बिस्तर पर पड़े रहना या गलत मुद्रा में बैठना, उठना और सोना कमर दर्द का कारण बनता है।
पीठ दर्द के कारणों का पता लगाने के लिए हमें पीठ की रचना के बारे में जानना होगा। रीढ़ की हड्डी 33 हड्डियों को एक के ऊपर एक रख कर मिलने से बनी है। प्रत्येक हड्डी के बीच में एक डिस्क होती है। शरीर के ऊपरी हिस्से का सारा वजन रीढ़ की हड्डी को ही सहन करन पड़ता है जिसके कारण पीठ दर्द की परेशानी हो जाती है।
भले ही आप कितने भी मजबूत क्यों न हों, यदि आप जरूरत से अधिक मेहनत करेंगे तो आप की पीठ इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगी। थके होने पर भी लगातार काम करते रहना पीठ दर्द को बुलावा देना है। गलत तरीके से व्यायाम करना भी पीठ दर्द का एक कारण बन सकता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर का भी क्षय होने लगता है और रीढ़ की हड्डी को होने वाला नुकसान इस बात पर निर्भर करता है कि युवावस्था में रीढ़ पर कितना दबाव पड़ा है।
आमतौर पर 40 वर्ष की आयु के बाद रीढ़ की हड्डियों का क्षरण शुरू हो जाता है। हड्डियों में कैल्शियम और अन्य खनिज पदाथोध् की कमी से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। रीढ़ की हड्डी चोट, दबाव व किसी भी प्रकार के विकार के कारण तनावग्रस्त होती है तो उसमें तकलीफ होती है। जो लोग स्लिप डिस्क (स्लिप डिस्क कोई भारी चीज उठाने, खेल या किसी क्रिया के दौरान शरीर के गलत ढंग से खिंचने या किसी प्रकार के अचानक दबाव के कारण होता है) के शिकार होते हैं उन्हें पीठ दर्द होना आम बात है। इसके अलावा पोषक तत्वों की कमी, लंबी बीमारी आदि कुछ कारणों से भी पीठ का दर्द होता है।
शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण रक्त संचालन की प्रक्रिया में गड़बड़ होने से रीढ़ की मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ता है जिससे पीठ दर्द होता है। अधिक भागदौड़ व परिश्रम करने वाले लोग जो काम के साथ-साथ आराम नहीं करते वे भी पीठ दर्द से पीडि़त रहते हैं।
ज्यादा मोटे लोग भी प्रायः पीठ के दर्द से परेशान रहते हैं। ऐसे लोग जो अक्सर नरम बिस्तर पर लेटते रहते हैं, पीठ दर्द की चपेट में आ जाते हैं, क्योंकि नरम बिस्तर पर लेटने के कारण मांसपेशियां आराम करने लगती हैं और हड्डियों को सहारा न मिलने के कारण पीठ में दर्द होने लगता है।
ऊंची एड़ी के जूते या सेंडिल भी पीठ दर्द का एक कारण हो सकते हैं। ऊंची एड़ी की वजह से ज्यादा तेज चलने पर संतुलन बिगड़ने से पैर मुड़ जाता है और इसका सीधा असर रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है और पीठ का दर्द शुरू हो जाता है। आहार के नियमों के विपरीत भोजन करने वाले लोगों को भी अक्सर पीठ दर्द की शिकायत रहती है। अपने उठने, बैठने, झुकने, लेटने, चलने आदि की गलत मुद्राओं में सुधार ला कर हम पीठ दर्द की रोकथाम कर सकते हैं।
ऊंची एड़ी के चप्पल व सैंडिल ज्यादा समय तक न पहनें इससे मांसपेशियों पर आवश्यकता से अधिक दबाव पड़ता है। गलत मुद्रा में बैठना हमारी पीठ के लिए सबसे खराब स्थिति है। अतः हमेशा आरामदेह स्थिति में बैठना चाहिए। और इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बैठते समय इसमें कोई झुकाव न हो। हमेशा कुर्सी की पीठ से अपनी पीठ सटाकर ही बैठना चाहिए। कुछ भी लिखते पढ़ते समय हमारी गर्दन और सिर आगे ओर झुके होने चाहिएं।
जमीन से कोई भी वस्तु उठाते समय अपनी पीठ को न झुकाकर हमेशा घुटनों को मोड़कर ही वस्तु को उठाना चाहिए। ऊंचाई पर रखी किसी वस्तु को उतारने के लिए उचकने की जगह स्टूल आदि का उपयोग करना चाहिए। हमेशा सीधे बैठकर ही भोजन करना चाहिए न कि कमर को आगे की ओर झुकाकर।
कभी लगातार खड़े रहना हो तो हमेशा पांव की स्थिति बदलकर ही खड़े रहना चाहिए। हमेशा मुलायम व आरामदेह जूते, चप्पल व सैंडिल पहनने चाहिएं। रात में गहरी नींद में सोना चाहिए। गहरी नींद में सोने से मांसपेशियों को बल मिलता है और खून में हारमोन की मात्रा बढ़ती है। रात को सोते समय बीच-बीच में करवट बदलते रहना चाहिए। ज्यादा ऊंचे तकिए का उपयोग नहीं करना चाहिए।
कमर के नीचे मांसपेशियों में सक्रियता लाने वाले कुछ व्यायाम भी अपनी दिनचर्या में शामिल करने चाहिएं। इससे मांसपेशियों में लचीलापन बना रहता है, वह मजबूत होती हैं जिससे पीठ दर्द हमें आसानी से अपनी गिरफ्त में नहीं ले सकेगा। हम निम्न प्रकार के व्यायाम अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।
सीधे खड़े होकर दोनों हाथ सीधे ऊपर उठाएं। सांस लें और बाई ओर झुकें। कुछ सेकंड सांस रोक कर इसी दशा में रहें, फिर धीरे-धीरे फिर से पहले वाली स्थिति में आ जाएं व सांस छोड़ें। इस तरह सांस खीचंते हुए र्दाइं ओर भी यही क्रिया दोहराएं। आरंभ में कम से कम 5-5 बार इस क्रिया को दोहराएं, फिर धीरे-धीरे इसका अभ्यास बढ़ाते जाएं।
हर रोज पंजों को ऊपर उठाते हुए लंबी सांस लें व फिर नीचे लाते हुए सांस छोड़ें, ऐसा 15-20 बार करें। फर्श पर बैठकर पैर आगे की तरफ सीधे फैलाएं व दोनों हाथ गर्दन के पीछे रखें और धीरे-धीरे घुटनों पर सिर टिकाएं। प्रयास करते रहें। कुछ दिनों बाद पीठ दर्द में बहुत आराम मिलेगा। जब एक बार व्यायाम करें तो यह नियम बीच में न छोड़ें।
कुछ दूसरी बीमारियों, जैसे गुर्दे की बीमारी, टीबी, आदि में भी पीठ के दर्द की शिकायत रहती है जिसे व्यायाम या मालिश से ठीक नहीं किया जा सकता। ऐसे में अपने चिकित्सक की राय जरूर लेनी चाहिए। कुछ दिनों तक फिजियोथेरेपी से भी इस रोग से छुटकारा मिल सकता है।