नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश समेत 4 अन्य राज्यों में परिणाम आने के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर दलों और आयोग की रार उस वक्त और ज्यादा बढ़ गई जब मध्य प्रदेश में उपचुनाव की तैयारियों के लिए की जा रही जांच के दौरान हर बटन दबाने पर कमल निशान पर ही वोट जा रहा था।
यूं तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह यह मांग पहले ही कर चुके हैं कि दिल्ली में नगर निगम के चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएं हालांकि निर्वाचन आयोग ने इसे इनकार कर दिया है।
अब आयोग ने सभी दलों और व्यक्तियों को चुनौती दी है कि वे आए और साबित करें कि ईवीएम से छेड़खानी हो सकती है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार आयोग जल्द ही तारीख तय करेगा, जिसमें हर किसी को इस बात की खुली चुनौती दी जाएगी कि वो यह साबित कर के दिखाएं कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो सकती है या नहीं। बता दें कि साल 2009 में निर्वाचन आयोग ने ऐसा ही किया था, हालांकि कोई इसे साबित नहीं कर पाया था।
अखबार के अनुसार सूत्रों ने बताया कि 2009 में अपनाई गई प्रक्रिया फिर से की जाएगी ताकि ईवीएम से जुड़ी शंकाओं क समाधान किया जा सके। सूत्रों के अनुसार इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों से प्रतिनिधि , तकनीक समझने वाले लोग, संगठन या कोई व्यक्ति भी बुलाया जाएगा जिसे ईवीएम की प्रणाली पर शंका है। वो लोग भी बुलाए जाएंगे जो इस मामले में किसी अदालत के समक्ष याची हैं।
इससे पहले केजरीवाल ने कहा था कि कि मशीनों का सार्वजनिक किया जाना चाहिए जिससे इन मशीनों की जांच हो सके। अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि अगर चुनाव आयोग ईवीएम मशीनों को सार्वजनिक करता है तो 72 घंटे के भीतर साबित कर देंगे कि ईवीएम में भी छेड़छाड़ हुई है।
आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली पार्टी को हार के बाद भी ईवीएम मशीन पर सवाल उठाया था। आम आदमी पार्टी के इस दावे पर चुनाव आयोग ने कहा था कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित है और इसमें किसी भी कीमत पर छेड़छाड़ नहीं हो सकती है।
वहीं रविवार को चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी से कहा था कि वह ईवीएम को दोष देने के बजाए पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों की समीक्षा करे। सोमवार को आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ईवीएम से चुनाव कराए जाने पर सवाल उठाया था। अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि चुनाव आयोग को बैलट पेपर से वोटिंग कराने पर विचार करना चाहिए।
दूसरी ओर बीते महीने आयोग ने कहा था कि साल 2009 में जब लोगों को यह मौका दिया गया था कि वो यह साबित करके दिखाएं कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो सकती है तो इसमें हर कोई असफल हुआ था। आयोग ने कहा था कि 2009 में ईवीएम पूरी तरह से खोल दिया गया था। उसके अंदरुनी हिस्से भी बाहर रखे गए थे।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में बुरी हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव प्रक्रिया पर ही सवाल खड़ा किया था। उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के परिणाम को देखकर साफ है कि यह मामला कितना गंभीर है, इसके बारे में और भी ज्यादा खामोश रहना लोकतंत्र के लिए बहुत घातक होगा।
भाजपा पर हमला बोलते हुए मायावती ने कहा था कि इन लोगों ने लोकतंत्र की हत्या की है, इन लोगों ने अपने पक्ष में गड़बड़ी की है। मैं भाजपा को खुली चेतावनी देती हूं अगर ये लोग इमानदार हैं तो पीएम मोदी और अमित शाह चुनाव आयोग को पत्र लिखें और पुरानी बैलट व्यवस्था से चुनाव कराने को कहें।