नई दिल्ली : एस्सार फोन टैपिंग मामले में रोज एक नया खुलासा सामने आ रहा है। एस्सार समूह के पूर्व कर्मचारी और कथित तौर पर फोन टैपिंग के संचालक अलबासित खान ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को गलत बताते हुए इस बात का खंडन किया है कि उसने कभी भी फोन टैपिंग के लिए उप्पल को रखा था।
इडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बासित ने फोन टैपिंग मामले की शिकायत प्रधानमंत्री से करने वाले सुरेन उप्पल को झूठा करार दिया और इसे पैसा ऐंठने का एक तरीका बताया। उन्होंने कहा, ‘सुरेन उप्पल ने यह सारा खेल अमीर लोगों से पैसा ऐंठने के लिए किया है। जब एस्सार समूह के लोगों ने उसकी बात को अनसुना कर दिया तो उन्होंने मीडिया का सहारा लेकर एस्सार को बदनाम करने की साजिश रची।’ बासित ने यह भी कहा कि उप्पल उन सारे ईमेलों को सार्वजनिक करें जिनको लेकर उन्होंने दोनों के बीच बातचीत होने का दावा किया है। गौरतलब है कि उप्पल ने यह भी दावा किया है कि बासित और उनके बीच ईमेल के जरिए बातचीत हुई है।
वहीं सुरेन ने बासित के दावों का खंडन करते हुए अपने दावों को सच्चा बताया। उन्होंने कहा कि बासित खान से बातचीत होने के सारे सबूत उनके पास हैं और सही समय पर वह उसे सार्वजनिक किया। उन्होंने यह भी दावा किया है कि खान से उनकी कई बार ईमेल और चैट के जरिए बातचीत हुई है और उनके आरोप गलत नहीं हैं।
सुरेन उप्पल सुप्रीम कोर्ट में एक वकील हैं जिन्होंने शुक्रवार को यह दावा किया कि एस्सार समूह ने 2001 से 2006 के बीच कई बड़े नेताओं और उद्योगपतियों के फोन टैप कराए। फोन टैपिंग का शिकार हुए राजनेताओं में सुरेश प्रभु, अमर सिंह, सुधांशु मित्तल, राम नाइक, पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल, पूर्व मंत्री स्व. प्रमोद महाजन, पीएमओ के कुछ अधिकारियों और कैबिनेट मंत्रियों के नाम शामिल हैं। इसके अलावा उद्योगपतियों में मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी और उनकी पत्नी टीना अंबानी जैसे लोगों के फोन टैप कराए गए।
उप्पल की लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती। उन्होंने अपने दावों में कई बड़े अधिकारियों के अलावा आईडीबीआई के चेयरमैन पीपी वोहरा, आईसीआईसीआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीवी कामथ, आईसीआईसीआई के ही संयुक्त प्रबंध निदेशक वह मौजूदा गृह सचिव राजीव महर्षि के फोन टैपिंग का भी खुलासा किया।
अब उप्पल के दावों और बासित के खंडन के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि अगर वास्तव में नेताओं और अधिकारियों के फोन टैपिंग हुए हैं तो उसके पीछे क्या मकसद हो सकता है तथा इस काम को किसके कहने पर संचालित किया गया। वहीं रिलायंस की तरफ से बयान जारी कर इस खुलासे पर हैरानी जताई। रिलायंस ने कहा कि अगर फोन टैपिंग के बात में थोड़ी भी सच्चाई है तो इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए। वहीं आम आदमी पार्टी का कहना है कि इस खुलासे के बाद भी बीजेपी इसकी जांच करने के आदेश नहीं दे रही है। यह स्पष्ट होना चाहिए की इन दावों कितनी सच्चाई है।