एक बार फिर सुर्खियों में है राम मंदिर..पार्टी के राज्यसभा सांसद विनय कटियार ने एक बयान देकर हड़कंप मचा दिया है, पहले आपको बता दूं कि कटियार ने कहा क्या..’रामायण म्यूजियम लॉलीपॉप है, राम मंदिर बिना सब बेकार है’ बात साफ है, पार्टी के अंदर ही ये सुर उठने लगे हैं कि राम मंदिर का जो वादा किया गया उसे पूरा किया जाए, अब बात करता हूं मुद्दे की,
कुछ समय पहले हमारे घर में भी राम का एक कैलेंडर लगा था, जिसमें राम दरबार की झांकी थी, मैंने भी राम
को ऐसे ही देखा था, मर्यादा पुरुषोत्तम, सौम्य, शालीन, धीरजवान, वीर, गंभीर और त्यागी…
अब एक तस्वीर और दिखाता हूं आपको..
ये तस्वीर आपके घर में भी हो सकती है, लेकिन आपने कभी सोचा, कि जिसे हम मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं वह इतने क्रोध में क्यों हैं ? या सच कहूं तो राम इतने क्रोध में थे भी या नहीं .. इस बात के क्या आज तक कोई पुख्ता प्रमाण हैं ? कोई भी प्रमाण न दे पाया और न हम समझ पाए, बस शिकार हो गए, एक वॉयरल तस्वीर का, राम की ये तस्वीर किस फैक्ट्री में बनीं जिसमें उन्हें इतना आक्रामक देखा, हमले को आतुर, क्रोध से लबरेज़.. ये तस्वीर वीएचपी के कारखाने में बनी, घर घर पहुंचाई गई।
आप थोड़ा याद करेंगे तो याद आएगा कि ये तस्वीर सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्य जी लोगों के जरिए घर-घर पहुंचाई जाती थी, वे नए साल के कैलेंडर के रूप में इसे आपके घर पर दे जाते थे और आप तारीखों के सपने बुनते हुए इसे अपने कमरे के सबसे अहम हिस्से में टांग देते थे, एक बात और याद दिलाता हूं, इस तस्वीर के नीचे राम मंदिर के आर्किटेक्ट का राम मंदिर मॉडल भी था याद आया ना..
दरअसल में राम की ये तस्वीर वीएचपी की देन है, जिसने सौम्य और शालीन राम की ऐसी क्रोधित प्रस्तुति की, जहां तक हमें याद आता है .. राम को पूरे जीवन में सिर्फ एक ही बार क्रोध आया, जब वह सीता को पाने के लिये अपनी सेना के साथ लंका पर चढ़ाई के लिए निकलते हैं को समुद्र से तीन दिन तक बार बार विनती के बाद भी जब वह नहीं सुनता तो राम को क्रोध आता है और वह धनुष चढ़ाते हैं.. मैं और आप ..न जाने कितनी बार एक दिन में ही क्रोध का सोपान करते हैं, अब सोचिए कि.. भाई के राजपाट छोड़ने वाले, पत्नी के लिए सबसे बड़ा युद्ध करने वाले और पिता के वादे को पूरा करने के लिए 14 साल वनवास काटने वाले राम एक आदर्श पुरुष भी हैं, और एक संत भी, जिसे न खोने की तकलीफ है और न राजपाट वापस पाने का अभिमान, ऐसे इंसान की वीएचपी को एक ही तस्वीर पसंद आई है, जिसका उसने कैलेंडर बनवाया है,
हम राम की सिर्फ पूजा नहीं करते थे बल्कि राम हमेशा से हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं, इकबाल ने लिखा है-
राम के वजूद पर हिंदुसतान को नाज,
एहले नजर समझते हैं उसको इमाम ए हिंद..
आज भी अवध से मैथिलनगरिया तक राम होली खेलते हैं, कुछ लोग तो ये भी कहते हैं कि लखनऊ के आखिरी नबाव वाजिद अली शाह जब यहां से बेदखल होकर कलकक्ता जाने लगे तो अफवाह उड़ी कि अंग्रेज उन्हें लंदन ले जा रहे हैं, फिर क्या था.. सड़कों पर मुस्लिम महिलाओं के हुजूम ने बड़े सुंदर शब्दों में कहा..हजरत जाते हैं लंदन कृपा करो रघुनंदन..तो राम यहां वाजिदअली शाह के भी कृपानिधान हैं..जिस राम को हम जानते हैं वह इतने विनम्र हैं कि शिव का धनुष तोड़ने पर जब परशुराम क्रोधित होते हैं तो वह कहते हैं कि .. हे नाथ शिव का धनुष तोड़ने वाला आपका कोई दास ही हो सकता है, राम.. वह पुरुष हैं जिसने सागर से बिनती की … प्रथम प्रणाम कीन्हि सिर नाई..और कुश बिछाकर बैठ जाते हैं..गांधी राम के ऐसे ही भक्त थे जो राम राज्य की कल्पना करते थे और लोहिया तो नास्तिक होते हुए भी रामलीला करवाते थे, हमसे अभी तक किसी ने नहीं कहा कि राम की जय मत बोलो.. क्यों कि वह हिंदू हैं..इसलिए नहीं कि उनका कोई सेक्युलर एजेंडा था, वो चुनाव में हिदुओं का वोट हासिल करना चाहते थे, लेकिन वीएचपी ने राम की ये तस्वीर बनाई है, ऐसा लगता है राम का नाम लेकर युद्ध करेंगे.. याद है ना 6 दिसंबर 1992..कैफी आजमी ने लिखा कि..
जब 6 दिसंबर को राम वापस घर आए होंगे..
तो उन्होंने क्या देखा होगा..
राम वनवास से लौटकर घर में आए..
याद जंगल बहुत आया जब नगर में आए..
रक्त से आंगन में जब दीवानगी देखी होगी..
6 दिसंबर को श्रीराम ने सोचा होगा..
इतने दीवाने कहां से मेरे घर में आए..
पांव सरयू मं अभी राम ने धोए भी न थे..
कि नजर आए वहां खून के गहरे धब्बे..
पांव धोए बिना सरयू के किनारे से उठे..
राम ये कहते हुए अपने दुआरे से उठे..
राजधानी कि फिजा ना आई रास मुझे
6 दिसंबर को मिला दूसरा वनवास मुझे..
सियासत ने राम की कैसी तस्वीर दिखाई !
अनुराग सिंह ( ‘कमाल’ की डायरी )
लेखक एक पत्रकार हैं। यह पोस्ट उनके फेसबुक वॉल से ली गई है।