एक्सपर्ट का मामना है कि दिल्ली में लगातार आ रहे भूकंप के पीछे का कारण दिल्ली-एनसीआर का फॉल्ट है जो इस समय सक्रिय हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इन फॉल्ट के चलते दिल्ली-एनसीआर में 6.5 तीव्रता का भूकंप आ सकता है जो काफी विनाशकारी साबित हो सकता है। यह बात चिंताजनक इसलिए भी है क्योंकि भूकंप की भविष्यवाणी करना संभव नहीं है और ना ही इससे संबंधित कोई उपकरण मौजूद है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के खौफ के बीच दिल्लीवालों में भूकंप को लेकर भी दहशत फैल गई है। पिछले 60 दिनों में दिल्ली-एनसीआर में 14 बार भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं। ताजा झटका सोमवार को आया जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.1 मापी गई, बता दें कि 29 मई, 2020 को सबसे ज्यादा 4.5 तीव्रता वाला भूकंप आया था। बार-बार आ रहे इन भूकंप को लेकर विशेषज्ञों ने जो बताया वह चिंताजनक है।
एक्सपर्ट का मामना है कि दिल्ली में लगातार आ रहे भूकंप के पीछे का कारण दिल्ली-एनसीआर का फॉल्ट है जो इस समय सक्रिय हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इन फॉल्ट के चलते दिल्ली-एनसीआर में 6.5 तीव्रता का भूकंप आ सकता है जो काफी विनाशकारी साबित हो सकता है। यह बात चिंताजनक इसलिए भी है क्योंकि भूकंप की भविष्यवाणी करना संभव नहीं है और ना ही इससे संबंधित कोई उपकरण मौजूद है।
एनसीएस (नैशनल सेंटर ऑफ सिस्मेलॉजी) के रिकॉर्ड के मुताबिक सन 1700 से अब तक दिल्ली एनसीआर के फॉल्ट में रिक्टर स्केल पर 4 से 6 या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप आया है। फॉल्ट के एक्टिव होने के कारण ही 27 अगस्त 1960 में 6 तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसके केंद्र हरियाणा का फरीदाबाद शहर था। वहीं साल 1803 में 6.8 की तीव्रता से भूकंप के झटके महसूस किए गए थे जिसका केंद्र उत्तर प्रदेश के मथुरा में था।
एक्सपर्ट के अनुसार अभी दिल्ली-एनसीआर में एक्टिव फॉल्ट की जो स्थिति है उसमें 6.5 तीव्रता का भूकंप आने की संभावना है। एनसीएस के पूर्व हेड डॉ. एके शुक्ला ने बताया की राजधानी दिल्ली भूकंप संभावित जमीन पर स्थित हैं, इसके अलावा हिमालय बेल्ट से भी इसे काफी खतरा है। इसके चलते यहां 8 तीव्रता वाला भूकंप भी आ सकता है। उन्होंने आगे कहा कि अगर हिमालयी बेल्ट में बड़ा भूकंप आता है, तो राजधानी पर इसका काफी असर पड़ेगा।
एके शुक्ला ने बताया कि पिछले कई सालों से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है लेकिन बीते हफ्तों में लगातार छोटे-छोटे भूकंप का आना वार्निंग की तरह लेना चाहिए। दिल्ली-एनसीआर के लोकल फॉल्ट अभी एक्टिव हैं और खतरा कभी भी दस्तक दे सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक दिल्ली भूकंप की जोन 4 में आता है, जहां मुरादाबाद, पानीपत और सोहना फॉल्ट लाइनें मौजूद हैं। इन फॉल्ट में 6.5 तीव्रता का भूकंप लाने की छमता है लेकिन अभी कहा नहीं जा सकता कि यह कब आएगा।
एनआईएस की साल 2014 के एक अध्ययन के मुताबित दिल्ली का 30 फीसदी भाग भूकंप के जोन पांच में आता है जो काफी संवेदनशील इलाके हैं। इन हिस्सों में भूकंप को लेकर ज्यादा तैयारी करने की आवश्यकता है। एक्सपर्ट के अनुसार, पिछले दो साल में दिल्ली रीजन में 64 भूकंप आए हैं, जिनकी तीव्रता 4 से 4.9 के बीच रही, वही 8 भूकंप की तीव्रता 5 या इससे अधिक रही। स्टडी के अनुसार राजधानी में 6 तीव्रता वाला भूकंप भी बड़ी तबाही मचा सकता है।
दिल्ली-एनसीआर के क्षेत्र में 4.6 करोड़ से ज्यादा की आबादी है, यहां की आबादी का घनत्व 11,297 प्रति वर्ग किलो मीटर का है। अगर दिल्ली से 200 किमी दूर भी 7 या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप आता है तो यह राष्ट्रीय राजधानी में बड़ी तबाही मचा सकता है। आबादी का घनत्व अधिक होने से यहां जानमाल का नुकसान बड़ी संख्या में हो सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, कई इमारतों का गलत तरीके से निर्माण इन्हें रेत में भी धंसा सकता है। भूकंप के लिहाज से दिल्ली के कई इलाकों में उंची इमारतें सुरक्षित नहीं है।
चट्टान के दो टुकड़ों के बीच जो दरारें होती हैं उसको फॉल्ट कहा जाता है। इस फॉल्ट की वजह से चट्टान के दोनों टुकड़े एक-दूसरे से टकराते हुए खिसकते रहते हैं। धरती के नीचे जब चट्टानों के टुकड़े (प्लेट्स) के खिसकने की गति तेज होती है तो हमें धरती के हिलने का अहसास होता है जिसको भूकंप कहा जाता है। भूकंप से समय चट्टान का एक टुकड़ा फॉल्ट या दरार की वजह से तेजी से किसी ओर फिसलता है।