सोशल मीडिया का क्रेज लोगों में सिर चढ़कर बोल रहा है। वहीं एक तबका ऐसा भी है जिसने इससे दूरी बनानी शुरू कर दी है। दरअसल, हाल ही में हुए एक शोध में पाया गया है कि सोशल मीडिया से निजी जीवन प्रभावित हो रहा है और इससे ऑफलाइन तुलना के मुकाबले दूसरों से की जाने वाली ऑनलाइन तुलना ज्यादा तनाव पैदा करता है।
लैंकेस्टर विश्वविद्यालय के डेविड बेकर और डॉ गिलर्मो पेरेस एलगोर्टा द्वारा किए गए इस शोध में पाया गया कि सोशल मीडिया के उपयोग और डिप्रेशन के विकास में एक मजबूत संबंध है। यह शोध 14 देशों के 35 हजार लोगों को बीच किया गया जिनकी उम्र 15 से 88 वर्ष के बीच थी। दुनिया भर में 1.8 अरब लोग सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, जिसमें से अकेले फेसबुक एक अरब लोग सक्रिय हैं।
इस शोध में पाया गया कि फेसबुक पर दूसरों के साथ अपने आप की तुलना तनावपूर्ण भावनाओं को जन्म देती है। अकसर लोग सोशल मीडिया पर अपनी फीड या पोस्ट को लेकर उत्तेजित और चिंतित रहते हैं। वास्तव में फेसबुक जैसा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोगों में नकारात्मक्ता, तनाव और चिंता विकारों को विकसित करता है।
अध्ययन से यह भी पता चलता है कि जबसे सोशल मीडिया ने लोगों को सोचने और मनन करने के लिए स्पेस दिया है तब से लोगों में तनाव की बढ़ोतरी हुई है। फेसबुक पर बार-बार पोस्ट डालना एक व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक बीमारी को विकसित करने के लिए मजबूर बनाता है। हालांकि, सोशल मीडिया का गुणवत्ता पूर्ण प्रयोग और नेटवर्किंग कई प्रकार से महत्वपूर्ण भी है। [एजेंसी]