चंडीगढ़ : भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने हरियाणा के करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज का विरोध जताया है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि देश में सरकारी तालिबानों का कब्जा हो चुका है।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि देश में सरकारी तालिबानों के कमांडर मौजूद हैं। इन कमांडरों की पहचान करनी होगी। जिन्होंने आदेश दिया सर फोड़ने का वहीं कमांडर है।
आपको बता दें कि हरियाणा में पंचायत और निकाय चुनावों की तैयारियों पर मंथन करने के लिए करनाल में प्रस्तावित भाजपा की प्रदेश स्तरीय बैठक का विरोध करने पर किसानों पर लाठीचार्ज किया गया है। शनिवार को इस विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने न केवल किसानों पर लाठियां भांजी, बल्कि जवाब में किसानों ने पुलिस पर भी पत्थर बरसाए।
#WATCH: देश में सरकारी तालिबानों का कब्ज़ा हो चुका है। देश में सरकारी तालिबानों के कमांडर मौज़ूद है। इन कमांडरो की पहचान करनी होगी। जिन्होंने आदेश दिया सर फोड़ने का वहीं कमांडर है: किसान नेता राकेश टिकैत, करनाल में पुलिस द्वारा किसानों पर हुए लाठीचार्ज पर pic.twitter.com/KnuPFQ7SGx
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 29, 2021
इस टकराव में करीब 20 किसान घायल हो गए। जिसमें से चार गंभीर हैं। घायलों को निजी अस्पताल व स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज के लिए ले जाया गया। लाठीचार्ज के दौरान वहां खड़े किसानों के वाहनों के शीशे भी टूट गए।
नौ घंटे तक नेशनल हाईवे बसताड़ा टोल पर चले इस घटनाक्रम में बार-बार जाम लगाने की जिद्द कर रहे किसानों पर पुलिस ने चार बार लाठीचार्ज किया और उन्हें हाईवे से खदेड़कर खेतों की ओर दौड़ा दिया। इस दौरान पुलिस ने करीब 30 प्रदर्शनकारी किसानों को हिरासत में भी लिया। उधर, डीसी निशांत कुमार यादव का दावा है कि कुछ पुलिस वाले भी चोटिल हुए हैं। इस टकराव के दौरान माहौल देरशाम तक पूरी तरह तनाव ग्रस्त रहा।
उधर, शाम को भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी बसताड़ा टोल पर पहुंचे और धरने की कमान संभाली। इससे पूर्व उन्होंने दोपहर को वीडियो वायरल कर सभी जिलों में किसानों से सड़कों पर उतरकर इस घटनाक्रम के विरोधस्वरूप जाम लगाने का आह्वान किया।
जिसके बाद सभी जिलों में भी विभिन्न राष्ट्रीय, राज्य और संपर्क मार्ग किसानों द्वारा जाम कर दिए गए। बसताड़ा टोल पर चढ़ूनी खुद हाईवे पर शाम को किसानों के साथ जाम लगाकर बैठ गए और हिरासत में लिए किसानों को छोड़ने तक विरोध प्रदर्शन जारी रखने की चेतावनी दी।
अन्नदाता का खून बहाना सरकार की आदत बन चुकी है। पहले सरकार जानबूझकर टकराव के हालात पैदा करती है और पुलिस अलोकतांत्रिक, अमानवीय और तानाशाही तरीके से किसानों पर हमले होते है। यह पहला मौका नहीं है, जब किसान लहूलुहान हुआ हो।
– भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री
लोगों की परेशानी को देखते हुए किसानों ने जाम खोल दिया है। लेकिन पुलिस की बर्बरता का विरोध जारी रहेगा। दो दिन के भीतर प्रदेश स्तरीय बैठक होगी। जिसमें इस घटनाक्रम का विरोध करने संबंधी रणनीति तैयार की जाए। इस घटना का खामियाजा प्रदेश और केंद्र सरकार दोनों को भुगतना पडे़गा।
-गुरनाम सिंह चढू़नी, प्रदेशाध्यक्ष भाकियू
मामले की गंभीरता को देखते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ ने पूरे मुद्दे पर सीएम मनोहर लाल से बात की है। कांग्रेस और इनेलो इसे मुद्दा बनाने में जुट गए हैं। एडीजीपी कानून एवं व्यवस्था नवदीप विर्क ने पूरे घटनाक्रम का ठीकरा किसानों पर फोड़ा है। उन्होंने कहा कि किसानों के हमले में दस पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। किसानों के हमले में जान बचाने के लिए पुलिस को आत्मरक्षा में हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। कांग्रेस और इनेलो नेता इससे कत्तई इत्तफाक नहीं रखते, उन्होंने किसानों पर लाठीचार्ज की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।