लखनऊ: अब सरकार बता रही रिपोर्ट को “टेलीफोनिक इनक्वायरी” फर्रुखाबाद डीएम ने दिए थे जांच के आदेश। सरकार का कहना है कि जो रिपोर्ट नगर मजिस्ट्रेट सहित टीम ने बनायी है,
उसमे केवल फोन पर बातचीत के आधार पर आक्सीजन की कमी की बात को मान लिया गया था। अब सरकार डाक्टरों की एक उच्च स्तरीय कमेटी से इस पूरे मामले की जांच कराकर आगे की कार्रवाही करेगी।
उत्तर प्रदेश में फर्रुखाबाद के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में 30 दिनों में 49 नवजात बच्चों की मौत के मामले में प्रदेश सरकार द्वारा कलेक्टर, चीफ मेडिकल ऑफिसर और लोहिया डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के सुप्रिटेंडेंट का ट्रांसफर कर दिया गया है।
सरकार ने यह कार्रवाई इस मामले में आई उस विवादित जांच रिपोर्ट के बाद की है जिसे सरकार के अधिकारी पहली नजर में गलत बता रहे हैं। हालांकि नगर मजिस्ट्रेट द्वारा की गयी इस जांच के बाद तीनों अफसरों समेत कुछ दूसरे अफसरों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है।
- – फरुखाबाद में बच्चों की मौत का मामला, नवजात शिशु केयर के लिए मात्र 66 बच्चे हुए थे दाखिल, इसमें से 6 की मृत्यु हुयी।
- -166 बच्चे बाहर के रिफर होकर आये इनमे से 24 की मृत्यु हुयी।
- – पेरिनेटल ऐस्पेक्सिया की वजह से अधिकतर मृत्यु हुयी,
- – नगर मजिस्ट्रेट अपनी टेलीफोनिक इन्क्वारी के आधार पर ऑक्सीजन सहित अन्य कारण सामने ले आये।
- – मामले में समन्वय की कमी को देखते हुए डीएम, सीएमओ और सीएमएस को हटाया गया।
- -अब डाक्टरों की उच्चस्तरीय टीम करेगी इन्क्वायरी, जांच के बाद होगी आगे की कार्यवाही, सरकार के अनुसार प्रथम दृष्ट्या नगर मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट बिलकुल गलत है।
गौरतलब है कि इन 49 बच्चों की मौत 21 जुलाई से 20 अगस्त को हुई थी। मीडिया में खबर आने के बाद कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए थे। इस मामले पर सरकार की ओर से सोमवार को कहा गया कि टीम भेजकर इस मामले की जांच कराई जाएगी, ताकि बच्चों की मौत की सही वजह पता लगाई जा सके।
उन्होंने बताया कि 20 जुलाई से 21 अगस्त के बीच डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में 468 बच्चों का जन्म हुआ। इनमें 19 बच्चों की जन्म लेते ही मौत हो गई थी। बाकी के 449 में से 66 क्रिटिकल बच्चों को नवजात शिशु केयर यूनिट में भर्ती कराया गया, जिनमें से 60 बच्चों की रिकवरी हुई, बाकी छह बच्चों को बचाया नहीं जा सका।
इनके अलावा, 145 बच्चे अलग-अलग हॉस्पिटल्स से यहां रेफर किए गए थे। इनमें से 121 बच्चे इलाज के बाद ठीक हो गए। 20 जुलाई से 21 अगस्तके बीच 49 नवजात शिशुओं की मौत हुई। इनमें जन्म लेते ही मौत हो जाने वाले 19 बच्चे भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि डीएम रवींद्र कुमार ने उपरोक्त मामले की जांच के लिए 30 अगस्त को टीम बनाई थी और तीन दिन में रिपोर्ट देने काे कहा था। इस टीम में एसडीएम, सिट्री मजिस्ट्रेट और तहसीलदार शामिल थे।
जांच में रिपोर्ट प्रस्तुत हुयी तो इसमें इशारा था कि ज्यादातर बच्चाें की मौत ऑक्सीजन और दवा की कमी की वजह से हुई है। जांच में यह भी कहा गया कि जिले के मेडिकल ऑफिसर्स ने और डीएम समेत तमाम अफसरों को गुमराह किया। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट और इस मामले में जांच टीम के सदस्य जैनेन्द्र जैन द्वारा कोतवाली में शिकायत देकर एफआईआर दर्ज कराई गयी थी।
रिपोर्ट @शाश्वत तिवारी