गुजरात में पढ़ाई जा रही एक हिंदी की किताब में रोजे को एक संक्रामक रोग बताया गया है। गुजरात राज्य विद्यालय पाठ्यपुस्तक बोर्ड (GSSTB) की उस किताब में लिखा है कि इस रोग में दस्त और उल्टी आती है। जिस किताब में ऐसा लिखा गया है वह वहां चौथी क्लास को पढ़ाई जा रही है।
यह घटना असामान्य इसलिए नहीं है क्योंकि इससे पहले GSSTB की नौंवी की किताब में जीसस क्राइस्ट के बारे में अपमानजनक बात लिखी थी। किताब की प्रेमचंद की कहानी ईदगाह में यह गड़बड़ मिली है। किताब के तीसरे पाठ के अंत में रोजा शब्द का मतलब समझाते हुए लिखा गया है कि यह एक संक्रामक रोग है जिसमें दस्त और काई आती है।
इस मामले पर जब जीएसएसटीबी के चेयरमैन नितिन पेठानी से बात की तो उन्होंने इसको प्रिंटिग में हुई गलती बताया। उन्होंने कहा कि वहां रोजा की जगह हैजा होना था। लेकिन गलती से दोनों शब्द आपस में बदल गए। नितिन ने बताया कि 2015 से वह किताब पढ़ाई जा रही है और उसमें पहले कभी ऐसी गड़बड़ नहीं देखी गई। उन्होंने कहा 2017 वाले एडिशन में ही ऐसा हुआ है। नितिन ने कहा कि ऐसी कुल 15,000 प्रतियां छपी होंगी जिनको तुरंत ठीक करवा दिया जाएगा।
जीएसएसटीबी ने दावा किया है कि उनको अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। लेकिन अहमदाबाद के एक संगठन ने बात को ऊपर तक लेकर जाने को कहा है। उस संगठन को चलाने वाले मुजाहिद नफीस ने कहा कि वह जीएसएसटीबी और राज्य सरकार के खिलाफ शिकायत करेंगे। मुजाहिद ने कहा कि धर्म को लेकर ऐसी गलतियां बर्दाशत नहीं की जाएंगी।