Fatehpur Lok Sabha constituency: फतेहपुर विश्व मानचित्र में चन्द प्राचीन शहरों में से एक प्रदेश का यह जनपद अपना एक अलग स्थान व महत्व रखता है। गंगा एवं यमुना नदी के बीच बसे इस शहर का पुराणों में भी उल्लेख किया गया है। मान्यताओं के अनुसार वैदिक काल में इसे अंतर्देश भी कहा जाता था, जिसका अर्थ एक ऐसा क्षेत्र जो दो नदियों के बीच में बसा हो व बेहद उपजाऊ है।
पौराणिक महत्व के तहत भिटौरा व असोथर अश्वस्थामा की नगरी व असनी घाट है। जबकि भिटौरा को भृगुऋषि की तपोस्थली भी कहा जाता है। राजनैतिक दृष्टि से देखा जाए तो गंगा व यमुना नंदियो के बीच बसी 49 फतेहपुर लोकसभा सीट बेहद खास है।
प्रयागराज मण्डल के तहत आने वाले जिलो में इस जनपद के अलावा कौशाम्बी, प्रतापगढ़ व प्रयागराज जनपद है। वही जिले की सीमा अन्य जनपदों से भी मिली हुई है। जिसमे बाँदा, हमीरपुर, रायबरेली, उन्नाव, चित्रकूट जनपद आते है। कई जनपदों से घिरे होने के कारण लोकसभा सीट अन्य जनपदों की लोकसभा सीट पर भी प्रभाव डालती है।
किसी जमाने में कांग्रेस पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले जनपद के आंकड़ों पर गौर करें तो आजादी से लेकर अभी तक 16 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। जिसमे कांग्रेस प्रत्याशी 5 बार जीत हासिल कर सांसद बन चुके है। जबकि बीजेपी 3, जनता दल 2, बसपा 2, समाजवादी पार्टी और लोकदल एक-एक बार जीते हैं। इसके अलावा एक बार निर्दलीय प्रत्याशी को भी जीत मिली है। इस लोकसभा सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ था। जिसमें कांग्रेस पार्टी से अंसार हर्वानी चुनाव जीतकर सांसद बने।
यदि बात लोकसभा चुनाव 2009 करे तो जनपद में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े राकेश सचान ने जीत हासिल करते हुए जनपद के इतिहास में पहली बार समाजवादी पार्टी का खाता खोला था। जबकि पडोसी जनपद कौशाम्बी से सपा के शैलेन्द्र कुमार और बाँदा जनपद से समाजवादी पार्टी के आरके सिंह ने जीत दर्ज की थी। वही रायबरेली जिले से यूपीए चेयरपर्सन व तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उन्नाव जनपद से कांग्रेस की अन्नू टण्डन, प्रतापगढ़ से राजकुमारी रत्ना सिंह व कानपुर से कांग्रेस के टिकट पर श्रीप्रकाश जायसवाल सांसद बने थे।
जबकि लोकसभा चुनाव 2014 में इस लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की साध्वी निरंजन ज्योति ने मोदी लहर में जनपद में एक बार फिर से भगवा परचम लहरा दिया था। वही जनपद से सटी सीट कौशाम्बी से विनोद सोनकर, इलाहबाद से श्यामाचरण, कानपुर से मुरली मनोहर जोशी, उन्नाव से साक्षी महाराज, बाँदा से हरिओम प्रसाद ने बीजेपी से जीत हासिल की थी। जबकि प्रतापगढ़ जनपद की सीट पर एनडीए के सहयोगी अपना दल ने जीत दर्ज करते हुए क्षेत्र को भगवा किले में तब्दील कर दिया था। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपना किला बचाने में एक बार फिर से कामयाब हो गयी थीं।
कभी कांग्रेस पार्टी का गढ़ व पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की विरासत कहे जाने वाले जनपद की लोकसभा सीट पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है। जहाँ से जीत हासिल करने वाली साध्वी निरंजन ज्योति मोदी सरकार की कैबिनेट में खाद्य एव प्रसंस्करण राज्यमंत्री है। वर्तमान में बदली परिस्थितियो के साथ भाजपा के सामने एसपी व बीएसपी गठबंधन के प्रत्याशी व दो बार के पूर्व बसपा विधायक रहे सुखदेव प्रसाद वर्मा है तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे पूर्व सांसद राकेश सचान कांग्रेस पार्टी के टिकट से एक बार फिर मैदान में है। हलाकि अभी तक भारतीय जनता पार्टी की ओर से अपने प्रत्याशी का एलान नही किया गया। इस लोकसभा सीट की गिनती देश की हाई प्रोफाइल सीटों में की जाती है। यहाँ से ही जनता दल के टिकट से चुनाव जीतकर वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने थे।
जनपद का राजनैतिक इतिहास
फतेहपुर जनपद में पहली बार 1957 में लोकसभा चुनाव हुआ था। जिसमे कांग्रेस पार्टी से अंसार हर्वानी ने जीत हासिल की थी जबकि 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर गौरी शंकर कक्कड़ विजयी हुए थे। 1967 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर से वापसी की और दोबारा वर्ष 1971 में अपने नाम जीत दर्ज की। 1977 में भारतीय लोकदल से बशीर अहमद ने जीत दर्ज कराते हुए कांग्रेस पार्टी के हाथ से सीट छीनने में कामयाब रहे। जबकि 1978 में हुए उपचुनाव में जनता पार्टी के लियाकत हुसैन ने जीत दर्ज कराई। 1980 में कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर से वापसी की और लगातार बार सीट पर कब्जा बरकरार रखा।
वर्ष 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में बतौर जनता दल प्रत्याशी उतरे राजा मांडा विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज कराकर देश के प्रधानमंत्री बने और जनपद का नाम एक बार फिर इतिहास में दर्ज कराने का काम किया। वीपी सिंह इस सीट से दो बार सांसद चुने गए। वर्ष 1996 में बसपा से विशंभर प्रसाद निषाद को जीत मिली।
वही 1998 के चुनाव में बीजेपी के अशोक कुमार पटेल सांसद चुने गए। उन्होंने इस सीट से जिले का दो बार प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के महेंद्र प्रसाद निषाद व 2009 में समाजवादी पार्टी के राकेश सचान सांसद चुने गए। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की निरंजन ज्योति ने जीत हासिल करते हुए मोदी कैबिनेट में राज्यमन्त्री बनी।
क्या कहते है आंकड़े
फतेहपुर। वर्ष 2011 के जनगणना के अनुसार जनपद की कुल जनसंख्या 26,32,733 है। जिसमें पुरुष आबादी 13,84,722 और 12,48,011 महिलाये है। तीन तहसीलों में बंटे जनपद की सदर तहसील क्षेत्र में 10,96,453, खागा तहसील क्षेत्र में 7,86,635 जबकि बिन्दकी तहसील क्षेत्र में 7,49,645 जनता निवास करती है। वही जनपद में मात्र 12.23 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में जबकि 87.77 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रो में बसती है। जिले की साक्षरता दर 67.7 प्रतिशत है। जोकि अन्य जनपदो की तुलना में काफी अच्छी है। पुरुषों की साक्षरता दर 77.2 प्रतिशत है जबकि महिलाओं की साक्षरता 56.6 फीसदी है। जिले में अनुसूचित जाति की आबादी 24.75 फीसदी है और लगभग 13 प्रतिशत मुस्लिम आबादी निवास करती है। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोध कुर्मी, निषाद समुदाय है जोकि चुनाव में निर्णयक भूमिका अदा करता हैं।
विधानसभावार स्थिति
फतेहपुर। 49 लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत छह विधानसभा फतेहपुर सदर, बिन्दकी, खागा, अयाह शाह, जहानाबाद व हुसैनगंज हैं। जिसमें खागा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। वर्तमान में जनपद की सभी छह सीटों पर एनडीए का कब्जा है। जिसमे से पांच सीटों पर सदर से विक्रम सिंह, बिन्दकी से करण सिंह पटेल, खागा से कृष्णा पासवान, अयाह शाह से विकास गुप्ता, हुसैनगंज से राणवेन्द्र प्रताप धुन्नी सिंह बीजेपी का प्रतिनिधित्व कर रहे है। जबकि जहानाबाद विधानसभा सीट पर एनडीए के सहयोगी अपना दल (एस) से जयकुमार जैकी विधायक है। वही जनपद से योगी सरकार में राणवेन्द्र प्रताप सिंह कृषि राज्यमन्त्री व जयकुमार सिंह जैकी कारागार राज्यमन्त्री है। जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा की डा निवेदिता सिंह काबिज है।
मुस्लिमों को नही मिला प्रतिनिधित्व
फतेहपुर। 49 लोकसभा सीट की शुरुआत भले ही मुस्लिम प्रत्याशी अंसार हर्वानी के रूप में हुई हो लेकिन 1977 में लोकदल से बशीर अहमद ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। जबकि 1978 के उपचुनाव में लियाकत हुसैन ने जीत दर्ज कराई। लियाकत हुसैन के बाद से लोकसभा में जनपद से किसी मुस्लिम को प्रतिनिधित्व हासिल नही हुआ। हलाकि 13 प्रतिशत आबादी होने के साथ ही मुस्लिम समुदाय निर्णायक भूमिका अदा करता है। अलग-अलग विधानसभाओं से सपा-बसपा समेत कई दलों से मुस्लिम विधायक बनकर अपने अपने क्षेत्र से प्रतिनिधित्व कर चुके है।
अपने-अपने आंकड़े अपने-अपने दावे
फतेहपुर। देश में मोदी लहर को रोकने के लिए जहाँ सूबे में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबन्धन के तौर पर लोकसभा चुनाव में बिन्दकी विधानसभा से दो बार विधायक रहे सुखदेव प्रसाद वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। गठबन्धन जहाँ दलित पिछड़ों के वोटो और मुस्लिम यादव के समीकरण को लेकर चुनाव जीतने के दावे कर रही है। जबकि कांग्रेस पार्टी ने दो बार घाटमपुर विधानसभा से विधायक व वर्ष 2009 में फतेहपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद रहे राकेश सचान को टिकट दिया है। राकेश सचान को नेताजी मुलायम सिंह यादव व शिवपाल यादव का करीबी नेता माना जाता है और राकेश सचान का सपा के अगली पंक्ति के दिग्गज नेताओं में शुमार किया जाता था।
टिकट बंटवारे में लोकसभा सीट गठबन्धन के खाते में चले जाने से नाराज राकेश सचान ने राहुल प्रियंका की मौजूदगी में कांग्रेस का हाथ थाम लोकसभा चुनाव के मैदान में डंटे हुए है। कांग्रेस जहाँ राहुल प्रियंका की छवि दिखाते हुए युवा वोटरों को लुभा रही है तो वही स्वर्ण के साथ ब्राह्मण-मुस्लिम पिछडो का समर्थन हासिल होने के दावे कर रही है। जबकि भाजपा द्वारा अभी तक प्रत्याशी का एलान नही किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी जहाँ मोदी सरकार द्वारा किये गए विकास कार्यो और नीतियों के बल पर चुनाव लड़ने का दावा कर जनपद की सीट को जीता हुआ मान रही है। वर्तमान में सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के स्थान पर अन्य को टिकट दिए जाने की मांग कर रहे है। दिग्गजों में एक विधायक स्वयं व अपनी पत्नी के लिए जबकि एक पूर्व मंत्री अपने पुत्र के लिए जबकि एक पूर्व ब्लाक प्रमुख व संघ के नेता टिकट के लिए दावेदारी कर रहे है।
पिछली चुनावी स्थिती
फतेहपुर। बात करते है लोकसभा चुनाव 2014 की। आंकडो के अनुसार जनपद की लोकसभा सीट पर 58.55 फीसदी मतदान हुआ था। इस सीट से भारतीय जनता पार्टी की साध्वी निरंजन ज्योति ने बसपा के अफजल सिद्दीकी को एक लाख 87 हजार 206 मतो के भारी अंतर से हराकर सीट हासिल की थी। वर्तमान में साध्वी केंद्रीय राज्यमंत्री है। निरंजन ज्योति को 4,85,994 जबकि बसपा के अफजल सिद्दीकी को 2,98,788 वोट मिले थे। समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े राकेश सचान 1,79,724 मत हासिल करते हुए तीसरे स्थान पर रहे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी रही ऊषा मौर्य मात्र 46,588 वोटो पर सिमट गयी थीं।
चुनौतियां व भीतरघात का भय
फतेहपुर। सभी दल अपनी-अपनी जीत के दावे भले ही कर रहे हो लेकिन अंदर ही अंदर सभी को जीत के लिए अलग-अलग चुनौतियो का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व विधायक सुखदेव प्रसाद वर्मा को बसपा ने टिकट देकर मैदान में उतारा है। सपा बसपा गठबन्धन जीत के दावे दलित-पिछडो मुस्लिम-यादवों के बल पर कर रहा है। सपा में अच्छी पकड़ रखने वाले पूर्व सांसद राकेश सचान को काफी समय से सपा से लोकसभा का प्रत्याशी माना जा रहा था लेकिन ऐन मौके पर टिकट बसपा के खाते में चला गया। नाराज राकेश सचान ने सपा से रिश्ते समाप्त करते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया और कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में आ डंटे। राकेश सचान कुर्मी-निषाद वोटो के साथ-साथ दलित व मुस्लिम समाज में भी अच्छी पकड़ रखते है।
पांच साल साँसद रहने व 2014 लोकसभा चुनाव हरने के बाद भी क्षेत्र में लगतार सक्रिय रहे सचान जनता से सीधे संवाद स्थापित करने वाले नेता बताये जाते है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीदवार राकेश सचान गठबन्धन का गणित बिगाड़ सकते है। जबकि बसपा प्रत्याशी सुखदेव वर्मा का नाम भी बसपा-सपा कार्यकर्ता के गले नही उतर रहा है। ऐसे में असंतुष्ट धड़ा गठबन्धन के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। जबकि भारतीय जनता पार्टी जहाँ जनपद की लोकसभा सीट जीती हुई मानकर चल रही है।
वर्तमान सांसद साध्वी का टिकट काटकर किसी अन्य सीट से लड़ाये जाने की मांग की जा रही है। भाजपा में मौजूदा सांसद का विरोध अंतर्कलह व दावेदारों की संख्या अधिक होने, स्थानीय विधायक पूर्व मंत्री समेत संघ के दिग्गजों द्वारा टिकट मांगे जाने के करण शीर्ष नेतृत्व न तो प्रत्याशी तय नही कर पा रहा है और भीतर घात के डर के कारण न ही वर्तमान सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री को हरी झंडी दे पा रहा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की तिगड़ी का गुल खिलाती है और इसका परिणाम क्या होगा यह तो आने वाला समय बतायेगा। बहरहाल नजारा बेहद दिलचस्प होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट – शीबू खान