फाजिल्का- जिला फाजिल्का के गांव सुरेश वाला और सैनिया के सेंकडों किसानों द्वारा उनके खेतों को जाने वाले रास्ते को रेलवे विभाग द्वारा बंद किए जाने के विरोध के चलते अपनी 800 एकड़ जमीन बिकाऊ करने के बैनर लगा कर डिप्टी कमिशनर दफ़्तर के आगे धरना दे कर रोष प्रदर्शन करते हुए केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। किसानों द्वारा बंद रास्ते खोलें जाने की मांग को पूरा ना होने पर संगर्ष तेज करने की दी चेतावनी।
पंजाब का अन्नदाता किसान कर्ज और कुदरती आफतो को लेकर आरथिक मंदहाली के दौर से गुजर रहा है। जिससे आए दिन किसानों द्वारा किसी न किसी परेशानी के चलते आत्महत्याओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा। फिर भी सरकार द्वारा उनकी समस्याओं को लेकर कोई ग़मबीर हल करने की बजाए उल्टा किसी ना किसी परेशानी में डाला जा रहा है।
ऐसा ही एक मामला जिला फाजिलका की सरहद पर बसे दो गांव सुरेश वाला और सैनिया में सामने आया। जहां सैकड़ों किसानों द्वारा आज डिप्टी कमिशनर कर्यालय के आगे धरना लगाकर रोष प्रदर्शन करते हुए केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई और अपनी 800 एकड़ के करीब उपजाऊ भूमि बिकाऊ करने के बैनर लगाए गए।
जहां उन्होंने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि बीते 4 साल पहले जब फाजिल्का अबोहर रेल लाइन शुरू बिछाई गई थी तो उनके गांव और खेतों को जाने वाले रास्ते के बीच रेल लाइन आ गई और रेलवे ने उनका रास्ता बंद कर दिया। जिससे उनको अपने ही खेतो में खेती करने जाने के लिए बारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक की इन दोनों गांव में किसी की मौत होने पर भी श्मशान भूमि के रास्ते में रेल लाइन आने के कारण शव को संस्कार के लिए ले जाते समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
जहां उन्होंने ईस रेल लाईन पर अंडर ब्रिज बनाने की मांग करते हुए कहा कि उनके द्वारा रेलवे विभाग के उच्च अधिकारियों से लेकर सिविल प्रशासन के अधिकारियों तक कई बार अपनी पहुंच कर चुके हैं और यहां तक कि इलाके के विधायक तक को अपनी समस्या से कई बार अवगत करवा चुके हैं लेकिन फिर भी 4 साल बीत जाने के बावजूद उनकी समस्या का हल नहीं किया गया। जिस से तंग आकर आज इन दोनों गांव के किसानों ने अपनी खेती करने वाली भूमि को बिकाऊ करने की घोषणा की है।
जहाँ इन किसानों ने बताया कि वह सन 1960 से लेकर आज तक गांव के इन खेतों में खेती कर रहे हैं लेकिन अब उनके खेतों को जाने वाले रास्ते में रेल लाइन आने से उनको उनकी परेशानी काफी बढ़ चुकी है और अपने ही खेतों को जाने के लिए उनको काफी समस्याओ का सामना करना पड़ता है और बाकि बची जगह पर रेलवे विभाग द्वारा वन विभाग के साथ मिलकर पेड़ पौधे लगा दिए गए। जहां इन परेशानियों से तंग आकर अपनी जमीन बिकाऊ करनी पड़ रही है।
यहां तक कि यह रास्ता बंद होने से परेशानी इतनी बढ़ चुकी है कि वह आत्महत्या तक का मन बना चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनके खेतों को जाने के लिए क्रीब 7 – 8 रसते थे जो सभी रेलवे विभाग ने रेल लाइन बिछा कर बंद कर दिए है। उन्होंने कहा कि वह अपनी समस्या लेकर रेलवे विभाग और सिविल प्रशासन के उच्च अधिकारियों और मंत्रीयो तक भी अपनी पहुंच कर बात कर चुके हैं लेकिन आज तक किसी ने उनकी सुनवाई नहीं की।
रिपोर्ट- @इन्द्रजीत सिंह