यूपी का ताज योगी आदित्य नाथ को थमाने और ओबीसी मतों को जोड़े रखने की कवायद में भाजपा को अब ब्राह्मणों के छिटकने का भय सता रहा है। यही वजह है कि यूपी भाजपा का अध्यक्ष बनाने से लेकर पीएम मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार तक में ब्राह्मणों को साधने की कवायद साफ नजर आई है।
पश्चिमी यूपी की अनदेखी करते हुए भी भाजपा ने महेंद्र पांडेय को यूपी का अध्यक्ष बनाया गया है। तो गोरखपुर के शिव प्रताप शुक्ला और उनसे ठीक 200 किलोमीटर की दूरी के अंतर्गत आने वाले बक्सर के सांसद अश्वनी चौबे को भी पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में जगह दिया है। इस कवायद को यूपी -बिहार के ब्राह्मणों को साधने के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार मिशन 2019 के मद्देनजर भाजपा ब्राह्मणों को नाराज कर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। यही वजह है कि पार्टी ने यूपी भाजपा अध्यक्ष पद पर पांडेय को बैठाने के साथ सरकार में भी भरपूर जगह दी है।
भाजपा के लिए क्यों अहम हुए है ब्राह्मण
पिछड़ा की राजनीति के बीच ब्राह्मण एकाएक भाजपा के लिए अहम हो गए हैं। इस बिरादरी को हमेसा से भाजपा का समर्थक कहा जाता है। लेकिन भाजपा से पहले यह बिरादरी कांग्रेस पार्टी की अंध समर्थक हुआ करती थी। दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण मतों के एकमुश्त समर्थन के वजह से कांग्रेस देश में लंबा राज करने में सफल रही है। जब से ब्राह्मणों ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा तब से ही पार्टी के दुर्दिन शुरू हो गए।
अब भाजपा को भी यह सच्चाई नजर आ रही है। अपने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले के तहत पार्टी ने पिछड़ों को जोड़ कर लोकसभा चुनाव से लेकर यूपी विधानसभा चुनाव तक में अपना परचम लहराया है।मगर यूपी में योगी आदित्य नाथ को भेजे जाने के बाद से भाजपा को अब ब्राह्मण मतों के छिटकने की आशंका सताने लगी है। यही वजह है कि समय रहते हुए अमित शाह ने ब्राह्मणों को साथ बनाये रखने की कवायद शुरू कर दी है।
बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में संगठन से लेकर राज्यपालों की होने वाली नियुक्ति में भी इसकी छाप नजर आएगी। मिशन 2019 के बाबत भाजपा आलाकमान किसी भी सूरत में अपने इस कोर वोटर की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है। अकेले यूपी में ही इस बिरादरी की संख्या दलित, यादव और मुस्लिम के बाद सर्वाधिक है। यूपी में करीब 7 से 8 प्रतिशत ब्राह्मण वोट बताये जाते हैं। पश्चिम, मध्य से लेकर पूर्वी यूपी तक मे ब्राह्मण मतों की बहुतायत संख्या है।