जनता में बढ़ती नाराजगी, दलितों को साधने की कोशिश में रूठ बैठा सवर्ण व ओबीसी वोट बैंक, साढ़े चार साल की हवाई-हंकाई से हलकान भाजपा अब अपने तरकश के सभी तीर निकाल चुकी है। देश की एक तोता जांच एजेंसी का भी इस्तेमाल बखूबी हो रहा है। इस मायावी तोते से किसी दल को तुडवाकर चाहे किसी नई पार्टी का गठन कराना हो या गठबंधन की गांठ नहीं बंधने देने का मसला हो, आईटी सेल की टीम द्वारा विपक्षियों के फर्जी कोटेशन सोशल मीडिया पर अपलोड करना हो या एडिटेड वीडियो की अपलोडिंग हो….हर एक खेल शुरू हो चुका है। इसी खेल की एक कड़ी का हिस्सा हैं चचा शिवपाल और बाहुबली नेता राजा भैया।
भाजपा ने चचा शिवपाल को जिस तरह से अखिलेश के खिलाफ खड़ा किया है, उसमें पारिवारिक कडुवाहट के अलावा “तोते” की अहम् भूमिका है। क्योंकि यदि चचा अलग नहीं होते तो तोता उनकी ‘कुंडली भाग’ की फाइल निकाले बैठा था। मायावती के मिट्टी-गिट्टी-पत्थर की कहानी की फाइल भी तोता हौले-हौले से दिखा चुका है। रही बात राजा भैया की उन्हें “सवर्ण वोट साधक बाण” की तरह इस्तेमाल किया जाएगा, जिसकी पटकथा गूंथी जा चुकी है। चचा शिवपाल को एक महत्वपूर्ण बंगला आवंटित कर भाजपा ने अंदरखाने यह संदेश दे दिया है कि मोहरा अब अपना है। कुछ दिनों बाद वाई या जेड श्रेणी मिल जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।
“मैडम अर्थात” यानी मायावती मध्य प्रदेश में टेलर दे चुकी हैं….इस वक्त पार्टी को माल की सख्त जरूरत है। ईंधन होगा तभी गाड़ी चलेगी, लिहाजा “मैडम अर्थात” हवा का रूख भांपते हुए कब सेंट्रल में भाजपा की गलबहियां थाम कोई मालदार विभाग पकड़ लें, कुछ कहा नहीं जा सकता। वैसे भी बसपा वो ऊंट हैं जिसकी करवटों पर शोधकार्य हो सकता है…चचा शिवपाल की आज की रैली में भीड़ तो है लेकिन भीड़ का क्या ये भी कब किसी की हुई है। चचा की छवि उनके सशक्त मुस्लिम वोट बैंक में भाजपा परस्त की बन रही है। ऐसे में चचा को एक बड़े वोटबैंक से हाथ धोना पड सकता है। ऐसे में यह वोट बैंक अखिलेश के पक्ष में लामबंद हो सकता है। यही नहीं भाजपा लाख दावा करे कि वह बहुमत पायेगी लेकिन जनता के बीच उसकी वह लोकप्रियता बची नहीं है। वोटर की नाराजगी मोहरों की तबियत नासाज कर सकती है।
सोशल मीडिया पर तो भाजपा के सिपाही जवाबी सवालों की बौछारों से कल्लाए हुए हैं। लोग कहने लगे हैं बहुत कुछ रंग सोशल मीडिया पर होने वाली बहसों-टीका-टिप्पणियों से पता चल रहा है। दूसरी ओर दलित वोट इस बार बौराया हुआ है कि वह “मैडम अर्थात” के साथ रहेगा या “जय लंकेश” बोलकर रावण को पसंद करेगा। रावण भी भाजपा का ही एक मोहरा है। …वैसे तोता, आईटी सेल…. जाति-धर्म, मीडिया खरीद, सर्जिकल स्ट्राइक….सब का तहरी भोज राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में कैसा टेस्ट डेवलप करता है…उसकी तासीर भी 2019 का रंग तय करेगी। लेकिन यह चुनाव क्यों के राजनैतिक भविष्य के साथ खेलेगा। …..हडबडाई भाजपा मोहरों पर मोहरे बिछा रही है …दिसंबर का दूसरा हफ्ता असली “कलेक्शन” की पोल खोलेगा…इंतजार करिए…..
लेखक : पवन सिंह