मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में नोटबंदी का अहम फैसला हुआ था, जिसकी चर्चा दुनियाभर में हुई थी।
हालांकि अब मिली जानकारी के अनुसार, देश में नोटबंदी के बाद से भ्रष्टाचार और गैरकानूनी गतिविधियों में बढ़ोत्तरी हुई है। नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर, जिसे लोकसभा सचिवालय द्वारा संचालित किया जाता है, उसने इस बात की पुष्टि की है।
इतना ही नहीं बिहार से सांसद रामप्रीत मंडल ने संसद में इस बारे में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सवाल किया था, जिसके जवाब में निर्मला सीतारमण ने भी स्वीकार किया कि ‘नोटबंदी के बाद से देश में नगदी का सर्कुलेशन बढ़ा है।’
वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि ‘नगदी के सर्कुलेशन का संबंध गैरकानूनी गतिविधियों से है।’
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में दिए अपने जवाब में कहा कि नवंबर, 2016 के बाद से देश में नगदी का सर्कुलेशन बढ़ा है। 4 नवंबर, 2016 को देश में 17,174 बिलियन रुपए की नगदी सर्कुलेशन में थी।
वहीं 29 मार्च, 2019 को देश में 21,137 बिलियन रुपए की नगदी चलन में है। इकॉनोमिक सर्वे 2016-17 वॉल्यूम-1 के मुताबिक दुनियाभर में नगदी के चलन और गैरकानूनी गतिविधियों में संबंध है, जितनी ज्यादा नगदी चलन में होगी, उतना ही देश में भ्रष्टाचार ज्यादा होगा।
बता दें कि साल 8 नवंबर, 2016 को केन्द्र की मोदी सरकार ने देश में नोटबंदी लागू कर दी थी। इस नोटबंदी के तहत देश में 500 और 1000 रुपए के नोट बैन कर दिए गए थे।
ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, भ्रष्टाचार के मामले में दुनिया के 188 देशों में से भारत का स्थान 78वां है। भारत को 41 अंक मिले हैं, जो कि वैश्विक औसत 43 अंक से भी कम हैं।
भारत में भ्रष्टाचार मिटाने के लिए साल 2011 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में जन लोकपाल एक्ट पास कराने की मुहिम शुरु हुई। इस मुहिम को लोगों का बड़ा समर्थन भी मिला, लेकिन यह मुहिम भी बीच में ही दम तोड़ गई।
ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की चेयरपर्सन डेलिया फेरेरा रुबियो के अनुसार, जिन देशों में लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर होती हैं, उन देशों में भ्रष्टाचार ज्यादा देखा जाता है।