नई दिल्ली : एक तरफ तमाम आंकड़े अर्थव्यवस्था में सुस्ती की ओर इशारा कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ सरकार लगातार इसका खंडन करने में जुटी है। इसी सिलसिले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने यह मानने से इनकार कर दिया कि देश की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है। यह पूछे जाने पर कि क्या अर्थव्यवस्था मंदी से जूझ रही है और क्या सरकार मंदी की खबरों से सहमत है, वित्त मंत्री ने इसका स्पष्ट जवाब नहीं देते हुए कहा कि वह उद्योग प्रतिनिधियों से मिल रही हैं और उनकी समस्याएं सुन रही हैं। सीतारमण ने कहा कि उद्योग जगत सरकार से क्या चाहता है, इस पर सुझाव ले रही हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसा दो बार कर चुकी हूं और आगे भी बार-बार करती रहूंगी।’
वित्त मंत्री ने नौकरियां छिनने के सवाल पर कहा कि ज्यादातर जॉब्स असंगठित क्षेत्र में होती हैं जिनका डेटा सरकार के पास नहीं है। बैंकों के विलय के बाद नौकरियां जाने की आशंका को खारिज करते हुए उन्होंने एसबीआई का अन्य बैंकों के साथ विलय का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की कोई छंटनी नहीं होगी। उन्होंने संबंधित सवाल पर कहा, ‘बिल्कुल गलत जानकारी है। मैं इन बैकों के हरेक यूनियन को आश्वस्त करना चाहती हूं कि वे शुक्रवार को कही गई मेरी बात याद रखें। जब हमने बैंकों के विलय की घोषणा की थी तभी स्पष्ट कर दिया था कि एक भी कर्मचारी की छंटनी नहीं होगी। बिल्कुल भी नहीं।’
अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती के कारण वाहनों की बिक्री में भारी गिरावट को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना जारी रखेगी, लेकिन अन्य वाहनों की कीमत पर नहीं। उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) में कटौती करने से संबंधित फैसला जीएसटी काउंसिल लेगा। उन्होंने कहा कि बजट के दौरान लिए गए कई सारे फैसलों के परिणाम दिखने लगे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान पर वित्त मंत्री ने कहा, ‘क्या डॉ. मनमोहन सिंह कह रहे हैं कि राजनीतिक प्रतिशोध की भावना में लिप्त होने के बजाय समझदार लोगों से बातचीत कर रास्ता निकालना चाहिए? क्या उन्होंने ऐसा कहा है? ठीक है, आपका धन्यवाद, मैं उनके बयान पर विचार करूंगी। यही मेरा जवाब है।’
बता दें कि मनमोहन सिंह ने कहा था, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार झटके को झेल नहीं पाएगी, इसलिए मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह राजनीतिक प्रतिशोध की भावना को किनारे रखे और समझदार लोगों से बातचीत कर अर्थव्यवस्था को उबारे जो सरकार के पैदा किए संकट में फंस गई है।’ चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही की आर्थिक विकास दर गिरकर पांच फीसदी पर पहुंच गई है जो छह साल का निचला स्तर है।