लखनऊ: कृषि की तरह मत्स्य क्षेत्र भी स्वास्थ्यवर्धक खाद्यान्न ही नहीं बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को रोज़गार भी उपलब्ध कराता है। वर्तमान में जिस तरह खाद्यान्न संकट बढ़ रहा है उसको देखते हुये ऐसे सम्मेलनों की अत्यन्त आवष्यकता है। मत्स्य क्षेत्र में शोध पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन (एन.सी.आर.डी.एफ.) बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के जंतुविज्ञान विभाग द्वारा का आयोजन किया गया। जिसमें मत्स्य क्षेत्र में शोध कर रहे, देश विदेश से आये सैकड़ों वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया।
सम्मेलन में हुयी चर्चा में वैज्ञानिकों ने माना कि मत्स्य क्षेत्र एक बड़ा क्षेत्र है जो कि भुखमरी ओर बेरोजगारी को दूर करने में सहायक है। यह वंचित और अषिक्षित वर्गों की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिये कई विचार प्रदान कर सकता है। मत्स्य क्षेत्र सिर्फ स्वास्थ्यवर्धक भोजन ही नहीं वरन मत्स्य अपषिश्ट को पुनःप्रयोग करके महिला सषक्तिकरण के अवसर भी उपलब्ध कराता है।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन की आयोजन सचिव प्रोफेसर डा. आभा मिश्रा व डा. सन्ध्या जी ने इस पूरे आयोजन की जानकारी देते हुये बताया कि यह सम्मेलन बी.बी.ए.यू. के पुराने प्रषासनिक भवन के सभागार में आयोजित किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन बी.बी.ए.यू. के कुलपति डा. संजय सिंह द्वारा किया गया।
उद्घाटन समारोह में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अध्येता व कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कोच्ची के डा. के.पी. जॉय को उनके उत्कृष्ट काम के लिये सम्मानित भी किया गया।
सम्मेलन में तीन तकनीकि सत्र आयोजित किये गये। जिनमें एनसीआरडीएफ-2019 के विस्तृत विषयों को शामिल किया गया था जिसमें एक्वाटिक पारिस्थितिकी और संरक्षण, फिजियोलॉजी और अनुकूलन, विष विज्ञान और उपचार, प्रजनन और एंडोक्रिनोलॉजी, संस्कृति अभ्यास और रोग प्रबंधन और आकृति विज्ञान, शरीर रचना और व्यवहार जैसे विषय शामिल थे।
सम्मेलन में देश-विदेश के विभिन्न प्रख्यात वैज्ञानिकों ने भाग लिया। भारत के विभिन्न हिस्सों से आये वैज्ञानिकों ने अपने षोध को प्रस्तुत किया। सम्मेलन में कुल 141 प्रतिभागियों ने भाग लिया और प्राप्त शोध सार की कुल संख्या 75 थी।सम्मेलन में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया गया। जिसमें लखनऊ के मषहूर गजल गायक कुलतार सिंह ने अपनी गजलें प्रस्तुत कीं।डीन प्रोफेसर आरपी सिंह, की उपस्थिति में समापन समारोह आयोजित किया गया।
@शाश्वत तिवारी