Flipkart से अलग हुआ PhonePe, डोमिसाइल भी सिंगापुर से बदलकर भारत किया
PhonePe separation from Flipkart दिग्गज पेमेंट प्लेटफॉर्म कंपनी फोनपे फ्लिपकार्ट से अलग हो गई है। दोनों कंपनियों की बहुलांश हिस्सेदारी वालमार्ट के पास रहेगी। इसके साथ ही कंपनी ने डोमिसाइल भी सिंगापुर से बदलकर भारत कर लिया है।
ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट (Flipkart) और पेमेंट में अग्रणी कंपनी फोनपे (PhonePe) ने अलग होने की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है। हालांकि, दोनों कंपनियां अभी भी अमेरिकी रिटेल दिग्गज वालमार्ट के तहत अपना परिचालन जारी रखेंगी। फोनपे का फ्लिपकार्ट की ओर से 2016 में अधिग्रहण किया गया था।
कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि वालमार्ट के नेतृत्व में हुए लेनदेन के समझौते में फ्लिपकार्ट सिंगापुर और फोनपे सिंगापुर के मौजूदा शेयरधारकों ने सीधे फोनपे इंडिया में शेयर खरीदे हैं। इसके बाद फोनपे पूरी तरह से एक भारतीय कंपनी बन जाएगी। यह प्रक्रिया इस साल की शुरुआत में शुरू हुई थी।
वालमार्ट के पास रहेगी बहुलांश हिस्सेदारी
इस पूरी प्रक्रिया के बाद वालमार्ट के पास ही दोनों कंपनियों की बहुलांश हिस्सेदारी रहेगी। इस मौके पर फोनपे के संस्थापक और सीईओ समीर निगम ने कहा कि फ्लिपकार्ट और फोनपे बड़े भारतीय ब्रांड हैं। दोनों कंपनियों के ग्राहकों की संख्या 40 करोड़ से अधिक हैं। हम आगे की ग्रोथ के लिए इंश्योरेंस, वेल्थ मैनेजमेंट और लेंडिंग जैसे बिजनेस में निवेश कर रहे हैं।
भारतीय हुई फोनपे
इस वर्ष फोनपे ने अपना अधिवास (domicile) सिंगापुर से बदलकर भारत कर लिया। लॉन्च होने के बाद से 3.5 करोड़ से अधिक व्यापारी फोनपे से जुड़ चुके हैं। कंपनी का टियर 1, 2,3 और 4 शहरों में फैला हुआ है और कंपनी देश के 99 प्रतिशत पिन कोड्स को कवर करती है।
फ्लिकार्ट के ग्रुप सीईओ कल्याण कृष्णामूर्ति में कहा कि हम इस बार से बेहद खुश हैं कि फोनपे को अपने आप में एक सफल संगठन के रूप में विकसित हुआ है। हमें विश्वास है कि फोनपे लाखों भारतीयों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा।