रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के चौथे दिन प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत धान का हिसाब देने में बुरी तरह फंस गये। वर्ष 2019-20 में खरीदे गये धान में कस्टम मीलिंग से बच गये धान और FCI में जमा कराये गये चावल को लेकर भाजपा विधायकों ने सवाल पूछा। जवाब में खाद्य मंत्री बुरी तरह फंस गयेे। उनके जवाबों से असंतुष्ट विपक्ष ने हंगामा किया। नेता प्रतिपक्ष ने मंत्री पर झूठ बाेलने तक का आरोप लगा दिया। हंगामा इतना बढ़ा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस मामले में खुद हस्तक्षेप करना पड़ा।
प्रश्नकाल में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर के सवाल पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बताया, 2019-20 में खरीदे गए 3.44 लाख मीट्रिक टन धान की अभी तक कस्टम मीलिंग पूरी नहीं की जा सकी है। वह धान समितियों और संग्रहण केंद्रों में रखे हैं। केंद्र सरकार ने सेंट्रल पूल में जमा करने के लिए 28 लाख मीट्रिक टन चावल जमा कराने की अनुमति दी थी, लेकिन 24 लाख मीट्रिक टन चावल ही जमा कराया जा सका। मंत्री ने इसकी वजह आदेश मिलने में देरी और कोरोना काल की दिक्कतों को बताया। भाजपा विधायकों के सवाल पर मंत्री अमरजीत भगत ने बताया, बचे हुए धान की कस्टम मीलिंग के बाद नागरिक आपूर्ति निगम के पास जमा किया जा रहा है।
विधायक अजय चंद्राकर ने भारतीय खाद्य एवं मानक प्राधिकरण का हवाला देते हुए पूछा कि क्या एक साल पुराना चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली में लोगों को दिया जा सकता है। जवाब में मंत्री ने कहा, विभाग के पास क्वालिटी इंस्पेक्टर हैं। उनकी जांच के बाद ही चावल जमा किया जाता है। इसके बाद भाजपा विधायकों ने मंत्री अमरजीत भगत को सीधी चुनौती दे डाली। विधायक अजय चंद्राकर ने कहा, अगर उनमें हिम्मत है तो चावल जमा करने के नार्म्स सदन के सामने रखें।
भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा के सवाल पर मंत्री अमरजीत भगत ने बताया, दिसम्बर में उन्हें चावल जमा करने की पहली अनुमति मिली। उसके बाद चार बार समय-सीमा बढ़ाई गई। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, उनके सवाल के जवाब में मंत्री ने सितम्बर में जमा करने की जानकारी दी है। भाजपा विधायकों ने धान खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
मुख्यमंत्री बोले, गड़बड़ी की कोई मंशा नहीं
हंगामें के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, सरकार की मंशा गड़बड़ी की नहीं है। धान और किसान का सम्मान होना चाहिए। पिछली बार बार-बार आग्रह के बाद दिसम्बर में चावल जमा करने की अनुमति मिली। उसी बीच कोरोना आ गया। ऐसे में विलम्ब हुआ है। इस बार भी पहले 60 लाख मीट्रिक टन चावल की अनुमति मिली थी। लेकिन प्रधानमंत्री से बात करने के बाद 3 जनवरी को केवल 24 लाख मीट्रिक टन चावल जमा करने की अनुमति दी। सरकार अब भी केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर इसे बढ़ाने की कोशिश कर रही है। वे कल भी केंद्रीय खाद्य मंत्री से मिलने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, विषय महत्वपूर्ण है इसके लिए अलग से आधे घंटे की चर्चा की जा सकती है।