लाहौर : पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज करीब 122 अरब डॉलर हो गया है। यह जानकारी शनिवार को एक रिपोर्ट में दी गई है। खास बात यह है कि जुलाई 2020 से जून 2021 के बीच ही 6.7 अरब डॉलर कर्ज लिया गया। हालांकि, कर्ज में दबे मुल्क के वजीर-ए-आजम अवाम को अर्थव्यवस्था की बेहतरी के ख्वाब दिखा रहे हैं। पिछले दिनों लाहौर में एक कार्यक्रम के दौरान इमरान ने मुल्क के बड़े कारोबारियों को बेहतर होती इकोनॉमी की जानकारी दी। ऑडियंस ने तालियां नहीं बजाईं। प्रधानमंत्री भड़क गए। कहा- आप लोग रात को देर से सोए होंगे। इसीलिए, तालियां नहीं बजा रहे।
बेहतर हो रही हमारी इकोनॉमी
पिछले हफ्ते लाहौर में पाकिस्तानी कारोबारियों और बैंकिंग सेक्टर के बड़े अफसरों की एक कॉन्फ्रेंस हुई। इमरान खान इसमें बतौर चीफ गेस्ट शामिल हुए। अपने भाषण में उन्होंने सरकार की कई योजनाएं और उनसे होने वाले फायदों की लंबी फेहरिस्त पेश की। इसी दौरान उन्होंने कहा- आने वाले वक्त में हमारी योजनाओं से 6 हजार अरब वेल्थ जेनरेट होगी।
इमरान ने तीन बार यह आंकड़ा दोहराया, लेकिन ऑडियन्स की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं आया तो वजीर-ए-आजम खफा हो गए। बोले- लगता है आप सब रात भर सोए नहीं हैं। सब सो रहे हैं, इसलिए तो किसी ने तालियां नहीं बजाईं। जरा सोचिए 6 हजार अरब रुपए हमारे यहां जेनरेट होगा। बहरहाल, इमरान की इल्तजा पर लोगों ने आखिरकार तालियां बजा ही दीं।
लेकिन, सही तस्वीर कुछ और
इमरान भले ही दावा कर रहे हों कि पाकिस्तान की इकोनॉमी रफ्तार पकड़ चुकी है, लेकिन उनकी ही सरकार द्वारा शनिवार को जारी आंकड़े इसकी कलई खोल देते हैं। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ के मुताबिक, पिछले महीने के आखिर में पाकिस्तान पर कुल विदेशी कर्ज 6.7 अरब डॉलर था। ये वो कर्ज है जो पाकिस्तान ने दुनियाभर के प्राईवेट या सरकारी बैंकों से लिया है। इसमें में भी सबसे बड़ा हिस्सा चीन का है और इस उधारी पर ब्याज की शर्तों का कभी पाकिस्तान की सरकार ने खुलासा नहीं किया।
कर्ज मिलना भी मुश्किल
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान सरकार ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में अब तक 20 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाया है। हैरानी की बात यह है कि यह पूरा कर्ज भी दूसरे कर्ज लेकर चुकाया गया है। पिछले महीने पाकिस्तान स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट जारी हुई थी। इसमें बताया गया था कि देश पर 115.756 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। अब यही बढ़कर करीब 122 अरब डॉलर हो गया है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि पाकिस्तान को फिर FATF की ग्रे लिस्ट में रहना होगा। इसका मतलब यह है कि उसे कोई इंटरनेशनल मॉनेटरी इंस्टीट्यूशन कर्ज नहीं देगा। कुल मिलाकर चीन ही उसके सामने एकमात्र रास्ता है।