भोपाल : स्वामी विवेकानंद जी की जयंती और राष्ट्रीय युवा दिवस पर मध्यप्रदेश में फ़ैल रही बेरोजगारी के समाधान के लिए बेरोजगार सेना का गठन किया गया है। इस संगठन को विचार मध्यप्रदेश एवं जन अधिकार संगठन का समर्थन प्राप्त है।
स्थिति: मध्यप्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति भयावह हो चुकी है। महंगी डिग्रियां लेने के बाद भी युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। जिनके पास नौकरियां हैं भी उन्हें बेहद कम तनख्वाह मिल रही है चाहे अतिथि विद्धवान हो, अतिथि शिक्षक हों या विभिन्न संविदा कर्मी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के हर 6 वें घर में एक युवा बेरोजगार है और हर 7 वें घर में एक शिक्षित युवा बेरोजगार बैठा है। वास्तविक स्थिति तो इससे भी कहीं ज्यादा खराब है।
सरकारी आंकड़े:
(1) मध्यप्रदेश में 21 से 30 वर्ष की आयु के लगभग 1 करोड़ 41 लाख युवा हैं।
(2) रोजगार कार्यालय के डाटा के अनुसार पिछले 2 वर्ष में मध्यप्रदेश में 53% बेरोजगार बढे हैं।
(3) दिसम्बर 2015 में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 15.60 लाख थी जो दिसम्बर 2017 में 23.90 लाख हो गयी है।
(4) प्रदेश के 48 रोजगार कार्यालयों ने मिलकर 2015 में कुल 334 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है।
(5) दिसम्बर 2015 के आंकड़ों के अनुसार पंजीकृत बेरोजगारों में 88% शिक्षित थे। इस अनुसार दिसम्बर 2017 में लगभग 21.09 लाख शिक्षित बेरोजगार होंगे।
(6) प्रदेश में 457 सरकारी महाविद्यालय, 864 प्राइवेट महाविद्यालय, 227 तकनिकी महाविद्यालय हैं। केवल सरकारी महाविद्यालयों में 2016-17 में 2.08 लाख छात्रों ने प्रवेश लिया है।
समस्या की जड़:
(1) सरकार स्वयं यह मानती है कि उनके पास बेरोजगारी से सम्बंधित सही आंकड़े नहीं हैं। जब समस्या के आंकड़े ही उपलब्ध नहीं हैं तो समाधान मिलने की आशा ही निराधार है।
(2) मध्यप्रदेश में लगभग 1 लाख से अधिक सरकारी पद रिक्त हैं।
(3) प्रदेश में जैसे भारी मात्रा में “लैंड बैंक” उपलब्ध है वैसे ही भारी मात्रा में “ब्रेन बैंक” भी उपलब्ध है किन्तु उसे एक जगह सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
(4) प्रदेश के युवाओं के हितों को ध्यान में नहीं रखा गया है और प्रदेश में उपलब्ध नौकरियों में उनके लिए कोई आरक्षण नहीं है।
(5) अधिकारियों और नेताओं की अदूरदर्शिता के कारण प्रदेश भर के औद्योगिक क्षेत्र खस्ताहाल हैं।
(6) GST का गलत इम्प्लीमेंटेशन और नोटबंदी
स्पष्ट तौर पर जब सरकार को यह ही नहीं पता है कि प्रदेश में कितने लोग बेरोजगार हैं और उनकी शैक्षणिक योग्यता क्या है तो उनके लिए उनकी योग्यतानुसार नौकरी की व्यवस्था कर पाना सरकार के लिए संभव नहीं है। सरकार द्वारा शिक्षित युवाओं को इस प्रकार नजरअंदाज इसलिए किया जा रहा है क्योंकि शिक्षित बेरोजगारी के खिलाफ कोई कानून नहीं है।
ऐसे में मनरेगा की भांति एक ऐसे कानून की बेहद आवश्यकता है ताकि शिक्षित युवाओं का रोजगार सुनिश्चित किया जा सके। इस क़ानून के तहत किसी भी व्यक्ति की स्नातक की डिग्री मिलने के 3 माह के भीतर सरकार उसे नौकरी मुहैया कराये अन्यथा उसे स्किल्ड लेबर की न्यूनतम मजदूरी के बराबर का बेरोजगारी भत्ता दिया जाय।
इस सन्दर्भ में आज राष्ट्रीय युवा दिवस पर प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गयी। प्रेस कांफ्रेंस में विचार मध्यप्रदेश कोर समिति सदस्य एवं पूर्व DGP श्री विजय वाते तथा जन अधिकार संगठन के उपाध्यक्ष अशोक शर्मा, मीडिया प्रभारी जनाब आबिद हुसैन महासचिव विक्रांत राय, सचिव प्रदीप नापित एवं युवा महासचिव संजय मिश्रा शामिल हुए।
प्रेस कांफ्रेंस में अक्षय हुँका ने बताया कि बेरोजगार सेना इस कानून की मांग को लेकर पूरे प्रदेश में आंदोलन प्रारम्भ कर रही है। पहले चरण में पूरे प्रदेश से 1 लाख हस्ताक्षर कराकर मुख्यमंत्री को दिए जाएंगे और अगर उसके बाद भी इस कानून को नहीं बनाया गया तो पूरे प्रदेश में तीव्र आंदोलन किया जाएगा।
बेरोजगार सेना द्वारा एक मिस्ड कॉल नंबर (92854-00639) भी जारी किया गया जिस पर शिक्षित युवा आंदोलन के समर्थन में मिस्ड कॉल देकर जुड़ सकते हैं।