नई दिल्ली [ TNN ] पनडुब्बी हादसे के बाद अपने पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर जमकर बरसे। जोशी ने कहाकि नौसेना में निष्क्रियता और अक्षमता का माहौल था जिसके कारण उन्होंने इस्तीफा दिया और जिस तरह से यूपीए सरकार ने मेरा इस्तीफा स्वीकार किया मैं उससे आश्चर्यचकित था। जोशी ने इस साल 26 फरवरी को नौसेना की पनडुब्बियों में हादसों के बाद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था।
आठ महीने बाद अपनी खामोशी तोड़ते हुए जोशी ने एक टीवी चैनल को बताया कि, संचालन पूरी तरह से निष्क्रिय था और मुझे लगता है कि प्रमुख होने के नाते मेरा काम सिर्फ टीवी पर अच्छा दिखना या गणतंत्र दिवस पर सलामी लेना भर नहीं है। लोग आपसे कहते हैं कि आप अपनी यूनिफॉर्म में काफी स्मार्ट लगते हैं लेकिन सचाई है कि पनडुब्बियों के आपको बैटरियां नहीं मिलती और मेरे लिए ऎसी स्थिति में काम करना मुश्किल था।
उन्होंने तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी द्वारा उनके इस्तीफे को मंजूर करने में दिखाई गई जल्दबाजी पर भी आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा, जिस रफ्तार से मेरा इस्तीफा मंजूर हुआ उस पर मुझे कुछ नहीं कहना। मैंने अपने पत्र में लिखा था कि, यह शीघ्रता से मान लिया जाए। उससे कोई परेशानी नहीं है लेकिन दो घंटे के भीतर इसे मंजूर कर लिया गया जिससे मैं चकित रह गया कि किसी पर इसकी जिम्मेदारी डालने की कितनी जल्दी थी। मुझे लगता है कि ये जल्दबाजी इसलिए थी कि उन्हें लगा कि शायद मैं अपने फैसले से पीछे हट सकता हूं।
उन्होंने कहा, जहां सत्ता है वहां जवाबदेही नहीं और जहां जिम्मेदारी है वहां सत्ता नहीं है। जोशी ने कहाकि, पेशेवर प्रतिस्पर्धा, जिम्मेदारी, जवाबदेही और शक्ति ये सभी अलग-अलग जगहों पर विद्यमान है। जहां पेशेवर प्रतिस्पर्धा, जिम्मेदारी, जवाबदेही सेवा में मौजूद है लेकिन सत्ता के साथ ऎसा नहीं है और सत्ता से मेरा मतलब किसी चीज को मंजूरी देने की शक्ति है। उन्होंने उदाहरण दिया कि पनडुब्बियों की बैटरियां बदलने का काम देश में किया जा सकता है लेकिन सेना के पास इसका अधिकार नहीं। साथ ही उन्होंने इशारा किया कि इस मसले का सरकार के सामने कई बार उठाया गया। पूर्व नौसेना प्रमुख ने बताया कि, जो लोग मुझे जानते हैं वे बताएंगे कि मेरा ऎसा आदमी नहीं हूं जो उच्च अधिकारियों के पास एक बार शिकायत करने के बाद चुप हो जाए।