नई दिल्ली -कांग्रेस को आज उस समय ज़बर्दस्त झटका लगा जब कृष्णा तीरथ के बीजेपी में जाने की ख़बर आयी। ये ख़बर आयी भी तब जब अजय माकन दिल्ली के कई नेताओं के साथ एआईसीसी मुख्यालय में अरविंद केजरीवाल के ‘यू टर्न’ के ख़िलाफ़ प्रेस कांन्फ्रेंस कर रहे थे।
बीच प्रेस कांफ्रेंस में ही पत्रकारों ने तीरथ के पार्टी छोड़ने से जुड़े सवाल पूछने शुरू कर दिए। कांग्रेस से जवाब देते नहीं बन रहा था। थोड़ी देर बाद संभलकर पार्टी ने कहा कि ये बीजेपी की निराशा को दिखाता है जो दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं के सहारे ही चुनाव जीतने की कोशिश में है।
तीरथ कांग्रेस का दलित चेहरा रहीं हैं। वे दिल्ली की शीला सरकार के अलावा यूपीए सरकार में भी मंत्री रहीं हैं। दिल्ली चुनाव में वो पार्टी के स्टार कैपेनर की लिस्ट में शामिल होने वाली थीं। लेकिन वो पार्टी ही छोड़ गईं। कांग्रेस के सूत्र बता रहे हैं कि वे पटेल नगर से टिकट चाहती थीं लेकिन पार्टी ने वहाँ अपने पुराने उम्मीदवार राजेश लिलोठिया का टिकट काटने से मना कर दिया।
कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि तीरथ के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि जो दलित राजनीति उनका मज़बूत आधार रहा है बीजेपी के एजेंडे में वो फ़िट नहीं बैठता। हालाँकि ये भी संत है कि कांग्रेस साँप गुज़र जाने के बाद लकीर पीट रही है।
कांग्रेस को आज उस समय ज़बर्दस्त झटका लगा जब कृष्णा तीरथ के बीजेपी में जाने की ख़बर आयी। ये ख़बर आयी भी तब जब अजय माकन दिल्ली के कई नेताओं के साथ एआईसीसी मुख्यालय में अरविंद केजरीवाल के ‘यू टर्न’ के ख़िलाफ़ प्रेस कांन्फ्रेंस कर रहे थे। बीच प्रेस कांफ्रेंस में ही पत्रकारों ने तीरथ के पार्टी छोड़ने से जुड़े सवाल पूछने शुरू कर दिए। कांग्रेस से जवाब देते नहीं बन रहा था। थोड़ी देर बाद संभलकर पार्टी ने कहा कि ये बीजेपी की निराशा को दिखाता है जो दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं के सहारे ही चुनाव जीतने की कोशिश में है।
तीरथ कांग्रेस का दलित चेहरा रहीं हैं। वे दिल्ली की शीला सरकार के अलावा यूपीए सरकार में भी मंत्री रहीं हैं। दिल्ली चुनाव में वो पार्टी के स्टार कैपेनर की लिस्ट में शामिल होने वाली थीं। लेकिन वो पार्टी ही छोड़ गईं। कांग्रेस के सूत्र बता रहे हैं कि वे पटेल नगर से टिकट चाहती थीं लेकिन पार्टी ने वहाँ अपने पुराने उम्मीदवार राजेश लिलोठिया का टिकट काटने से मना कर दिया। कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि तीरथ के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि जो दलित राजनीति उनका मज़बूत आधार रहा है बीजेपी के एजेंडे में वो फ़िट नहीं बैठता। हालाँकि ये भी संत है कि कांग्रेस साँप गुज़र जाने के बाद लकीर पीट रही है।- स्त्रोत -एजेंसी