नई दिल्ली- स्कॉर्पीन डाटा लीक मामले में फ्रेंच नेवी के एक पूर्व अधिकारी पर शक जताया जा रहा है। द ऑस्ट्रेलियन अखबार के मुताबिक फ्रेंच फर्म डीसीएनएस के लिए काम करने वाले अधिकारी ने पनडुबब्बी से जुड़ी जानकारियों को लीक किया है। ऐसा करने के पीछे उसका मकसद क्या था बता पाना मुश्किल है।
इस बीच डीसीएनएस का कहना है कि फ्रेंच अथॉरिटी इस मामले की जांच कर तह तक जाने की कोशिश करेेंगे कि आखिर इस लीक के पीछे कौन है। इसके अलावा पनडुब्बी से जुड़े डाटा कहां से लीक हुए हैं।
कई पूर्व नौसेना अधिकारियों ने कहा है कि यह देखना जरूरी है कि लीक हुए डाटा तैयार हो रही स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के खयाल से कितने उपयोगी हैं और उसके अनुसार इस परियोजना में आगे बदलाव करने होंगे।
कंपनी का कहना था कि उसकी भूमिका सप्लाई तक है और तकनीकी डेटा तक उसकी पहुंच नहीं है। हालांकि डीसीएनएस की चिली को युद्ध-पोत बेचने और रूस को पानी और जमीन दोनों पर जहाज बेचने की योजना के संवेदनशील दस्तावेज भी लीक हुए हैं। जहाज के लीक हुए डाटा का भारतीय डील से कोई संबंध नहीं है।
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 22,400 पन्नों की बेहद संवेदनशील जानकारियां लीक हुई हैं। जो दस्तावेज लीक हुए हैं उनमें 6 स्कॉर्पियन क्लास पनडुब्बी से संबंधित जानकारियां हैं।
‘द ऑस्ट्रेलियन’ के मुताबिक, यह डाटा फ्रेंच कंपनी डीसीएनएस (DCNS) से लीक हुआ है। यह कंपनी ही भारत के लिए पनडुब्बी बनाने का काम कर रही है। भारत सरकार ने 2005 में इस कंपनी के साथ 3.5 बिलियन यूएस डॉलर का सौदा किया था। इसके तहत 6 पनडुब्बी भारत तो दी जानी है। इनमें से एक आईएनएस कावेरी 2016 के आखिर में नौसेना में शामिल होनी है। बाकी बची पनडुब्बियां 2020 तक भारत को मिलनी है।
पनडुब्बी से जुड़ी जो जानकारियां लीक हुई हैं उनमें पनडुब्बी का ‘अंडर वाटर सेंसर’ पानी के बाहर के सेंसर सिस्टम, कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम, नेविगेशन और कम्युनिकेशन सिस्टम से जुड़ी अहम जानकारियां शामिल हैं। [एजेंसी]