महराजगंज– मादक पदार्थ की तस्करी के आरोप में जेल की सजा काट रहे फ्रांस के एक कैदी ने नए साल में पत्नी को नायाब तोहफा देने के लिये माचिस की तीलियों को जोड़कर ताजमहल का प्रतिरूप तैयार किया है। जिला कारागार में मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम (एनडीपीएस) के तहत सजा काट रहे फ्रांस के कैदी एलवर्ट पास्कल शाइने की कारीगारी का नमूना देख पूरा जेल महकमा उनका मुरीद है। बैरक के बंदी साथियों की मदद से एलवर्ट ने फेविकोल से माचिस की तीलियों को जोड़कर ताजमहल बनाया है।
नए साल पर पत्नी को देने के लिए इस नायाब तोहफे को जेल प्रशासन ने सुरक्षित रखने के प्रबंध किए हैं। जेल प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि कैदी ने तीस हजार तीलियों और दो किलोग्राम फेविकोल से ताज का प्रतिरूप तैयार किया है। जिला कारागार के जिस बैरक में एलवर्ट पास्कल शाइने कैद हैं उसी बैरक में ठूठीबारी क्षेत्र के किशुनपुर गांव निवासी धीरेन्द्र पटेल चरस तस्करी के आरोप में दो दिसंबर 2015 से बंद है। उसमें मनौव्वर नाम का भी एक बंदी है। बैरक में भाषाई दिक्कत से एलवर्ट गुमसुम रहते थे। तन्हाई में वह अपनी कारीगरी को कैनवस पर उतारने लगे, जिसे देख बैरक के अन्य बंदी उनके करीब आए गए। दोस्ती होने पर एलवर्ट ने जुदाई की तड़प को संकेतों के माध्यम से इजहार किया जिस पर धीरेन्द्र पटेल, मनौव्वर और अन्य कैदियों ने उनके सामने ताजमहल बनाने का प्रस्ताव रखा।
जेल के अधिकारियों ने कारीगरी देख उनको हुनर दिखाने का साजो-सामान मुहैया कराया। तीस हजार माचिस की तीली और दो किग्रा फेविकोल से एलवर्ट ने धीरेन्द्र, मनौव्वर तथा बैरक के अन्य साथियों की मदद से ताजमहल की खूबसूरत कलाकृति बना दी। कैदी की अनूठी कलाकृति देख सभी बेसाख्ता ‘वाह ताज’ बोलने को विवश हो रहे हैं। एलवर्ट का कहना है कि जेल में बनाया गया ताज, प्यार व सहयोग की निशानी है। वह इसे अपनी पत्नी को नए साल में गिफ्ट करेंगे। एलवर्ट का कहना है कि जब कोई उनसे मिलने आएगा तो उसी के हाथों महराजगंज जेल में बना ताजमहल फ्रांस अपनी पत्नी के पास भेजेंगे।