राहुल गांधी के इस्तीफा देने और अगला उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया से खुद को अलग रखने के बाद संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने भी कोई सलाह या हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है।
गांधी परिवार कतई नहीं चाहता है कि पार्टी जिसे अगला अध्यक्ष बनाए उस पर परिवार के करीबी होने या कठपुतली होने का आरोप लगे।
नए अध्यक्ष के चुनाव में राहुल रुख को देखते हुए पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी से मिलकर कोई नाम सुझाने को कहा तो उन्होंने इंकार कर दिया कि वे नहीं चाहती हैं कि गांधी परिवार पर किसी प्रकार कठपुतली अध्यक्ष बनाने का आरोप लगे।
सोनिया ने सीडब्ल्यूसी में सबकी सलाह से फैसला लेने की बात कही। सूत्रों का कहना है कि गांधी परिवार सीडब्ल्यूसी की बैठक से भी दूरी बनाना चाहता है ताकि सदस्यों को कोई फैसला लेने में सहूलियत हो।
कांग्रेस के नेता 10 जुलाई को सीडब्ल्यूसी की बैठक बुला सकते हैं। ऐसा इस बात को ध्यान में रखकर किया गया है कि राहुल उस दिन दिल्ली में होंगे।
राहुल ने बुधवार को जिस तरह कहा कि अगली प्रक्रिया का उनसे कोई लेना-देना नहीं है और नए अध्यक्ष का फैसला एक महीने पहले हो जाना चाहिए था उससे नहीं लगता कि राहुल सीडब्ल्यूसी की बैठक में शामिल होंगे।
सीडब्ल्यूसी में किसी वरिष्ठ महासचिव को अस्थाई तौर पर अंतरिम अध्यक्ष बनाकर चुनाव प्रक्रिया शुरू की जाए। वरिष्ठ महासचिव के नाम पर गुरुवार को गुलाम नबी आजाद का नाम सामने आया।
आजाद ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिंह राव, सीताराम केसरी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ काम किया है।
सीडब्ल्यसी तीन से चार नेताओं की एक कमेटी बना दे जो आगे की चुनाव प्रक्रिया शुरू कर नया अध्यक्ष चुने।
बैठक में नए अध्यक्ष के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित किया जाए। चार जोन में राज्यों को भौगोलिक आधार पर बांट दिया जाए।
इससे शक्ति का विकेंद्रीकरण हो जाएगा और पार्टी को बेतहर नतीजे मिल सकेंगे। इससे भाषाई और क्षेत्रीय संतुलन बनाया जा सकेगा।
किसी एक वरिष्ठ नेता को अध्यक्ष बनाकर उसके साथ दो युवा नेताओं को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर संगठनात्मक मजबूती दी जा सकती है।
इस फार्मूले में डा. मनमोहन सिंह को नेतृत्व सौंपने पर भी वरिष्ठ नेता तैयार होते दिख रहे हैं। नेताओं का तर्क है मनमोहन सिंह बड़ा चेहरा हैं उन्हें लेकर सर्वसम्मति बनाना होगा। उनके नेतृत्व में अनुभवी और युवा नेताओं की टीम एक साथ काम कर सकती है।
कुछ नेता महासचिव प्रियंका गांधी को अध्यक्ष पद पर देखना चाहते हैं लेकिन राहुल के पद छोडने को लेकर जिस तरह उनका ट्वीट आया है उससे उन्हें ही इसकी संभावना नहीं दिखती।
सूत्रों के मुताबिक जिस दौरान सीडब्ल्यूसी की बैठक होगी प्रियंका गांधी दिल्ली में नहीं होंगी।