कोलकाता – “गंगासागर” ये वो पावन भूमि है जो जनवरी माह में मकर संक्रांति आते- आते समुद्र से अपने आप प्रगट हो जाती है और कुछ दिनों बाद ही पुनः यहाँ चारो ओर पानी ही पानी दिखाई देता है। उसी के साथ सालभर के लिए ये गंगासागर की तपोभूमि समुद्र के गर्भ में समां जाती है। इन दिनों यहाँ देश/ विदेश के लाखो तीर्थयात्रियों का जमावड़ा होता है।
उत्तर प्रदेश से अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व हनुमान गढ़ी [अयोध्या] के महंत ज्ञान दास द्वारा इस गंगासागर तीर्थयात्री शिविर का उद्घाटन किया गया। महत ज्ञान दास ने अपने उदबोधन में गंगासागर की महिमा पर बड़े विस्तार से चर्चा करते हुए इसके पौराणिक महत्त्व को बताया।
सभा के चेयरमैन लक्ष्मीकान्त तिवारी ने इस शिविर की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए यहाँ आये हुए तीर्थयात्रियों का पूर्ण सहयोग, दवा- इलाज सहित परिवहन में अपना पूरा सहयोग करने की बात कही।
कलकत्ता कान्यकुब्ज सभा एवं शाकुन्तल महिला कान्यकुब्ज समिति के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित गंगासागर तीर्थ यात्री शिविर जो विगत 27वर्षो से लगातार चला आ रहा है।
उक्त अवसर पर सभा के चेयरमैन लक्ष्मीकान्त तिवारी संयोजक दीपक मिश्रा, कुलदीप दीक्षित, दयाशंकर मिश्रा, प्रधान सचिव अशोक शुक्ल सहित मुकेश तिवारी, शिव किशोर मिश्र, संगम पण्डे, सुनील दीक्षित, सुधीर मिस्र एवं शकुंतला तिवारी, प्रभा बाजपाई आदि उपस्थित थे।
रिपोर्ट -शाश्वत तिवारी
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