बिहार के कुख्यात गैंगस्टर संतोष झा की सीतामढ़ी कोर्ट परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। बताया जा रहा है कि मंगलवार को उसे यहां पेशी के लिए लाया गया था। इसी दौरान घात लगाए बदमाशों ने उस पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। जख्मी हालत में संतोष झा को अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक मामले में पेशी के दौरान मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के कक्ष के सामने ही बदमाशों ने संतोष झा पर गोलियां बरसाईं। बताया जा रहा है कि एक गोली सिर में और दूसरी गोली सीने में लगी। इसके बाद हमलावर वहां से फरार हो गए। फिलहाल कोर्ट परिसर में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी गई है।
सीतामढ़ी के एसपी विकास बर्मन ने बताया कि इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है और उससे पूछताछ जारी है। एसपी के मुताबिक हत्या के इस मामले में दो-तीन हमलावरों के शामिल होने की आशंका है। बर्मन ने बताया कि फायरिंग के दौरान एक कोर्टकर्मी भी घायल हुआ है।
दो इंजिनियरों की हत्या में मिली थी उम्रकैद
बता दें कि बिहार के दरभंगा में हुए दो इंजिनियरों की हत्या के मामले में इसी साल मार्च में अदालत ने संतोष झा और मुकेश पाठक सहित दस दोषियों को उम्रकैद के साथ जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस मामले में चार अन्य को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था।
इंजिनियरों को एक-47 से भून डाला था
राज्य के सबसे खूंखार अपराधियों में शामिल संतोष झा के गिरोह ने 26 दिसंबर 2015 को बहेड़ी थाना क्षेत्र के शिवराम चौक पर एसएच-88 का निर्माण कार्य करा रहे इंजिनियर मुकेश कुमार और ब्रजेश कुमार की दिनदहाड़े एके-47 से अंधाधुंध गोली मारकर हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि रंगदारी नहीं देने के कारण झा गिरोह ने इंजिनियरों को मौत के घाट उतार दिया था।
खौफ का पर्याय था संतोष झा
बिहार में बड़े निर्माण कार्यों में लगी निर्माण कंपनियों और व्यापारियों के लिए संतोष झा का गिरोह आतंक का प्रतीक बन गया था। गिरोह के सदस्यों के पास एके-47 जैसे प्रतिबंधित हथियार भी मौजूद थे। बताया जाता है कि नक्सलियों के ग्रुप की तर्ज पर संतोष झा ने भी अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए एक संगठन बना रखा था। दरअसल, संतोष खुद पहले एक नक्सली गिरोह में शामिल था।
रिपोर्ट्स की मानें तो उसने एक नक्सली कमांडर को मरवाकर खुद को इस गिरोह का सरगना घोषित किया था। बाद में यही गिरोह निर्माण कंपनियों और व्यापारियों से अवैध वसूली करने लगा। बताया जाता है कि संतोष झा बिहार का पहला क्रिमिनल था जो पूरे प्रदेश में गैंग चलाता था। आरोप है कि संतोष जेल के भीतर से ही रंगदारी मांगने और गिरोह को सक्रिय रखने में जुटा था।