अहमदाबाद: ‘गे प्रिंस’ के नाम से विख्यात राजपीपला (गुजरात) के राजपरिवार के सदस्य मानवेंद्र सिंह गोहिल ने एक सनसनीखेज जानकारी दी है कि देश के कई धार्मिक नेताओं ने उनके समक्ष शारीरिक संबंध बनाने का प्रस्ताव रखा था। वर्ष 2006 में गोहिल ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि वे समलैंगिक हैं।
आणंद स्थित सरदार पटेल यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम में मानवेंद्र ने कहा कि भारतीय दोहरा जीवन जीते हैं। सच्चाई को स्वीकारने से हिचकते हैं। समलैंगिकता भी इसी दोहरेपन का परिणाम है। समाज में कई लोग इस वर्ग के हैं, लेकिन परंपरा के डर से खुलकर इसे स्वीकार नहीं कर पाते हैं।
उन्होंने कहा कि समलैंगिकता से जुड़ी धारा 377 को समाप्त करने के अभियान के बारे में अमेरिका में बोलने के बाद देश में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई सहित सभी धर्मों के नेता पहली बार एक साथ इसके विरोध में उतर आए। यह हमारे समाज की हिप्पोक्रेसी है।
मानवेंद्र वर्ष 2000 से एचआईवी और एड्स जागरूकता के लिए लक्ष्य संस्था के जरिये काम कर रहे हैं। गुजरात के राजपीपला राजघराने के मानवेंद्र सिंह गोहिल ने पहली बार 2006 में खुद के समलैंगिक होने की बात स्वीकार की थी।
उनका जन्म सितंबर 1965 में राजस्थान के अजमेर में हुआ। मध्य प्रदेश के झाबुआ के राजपरिवार में उनका विवाह हुआ। मगर, जब पत्नी चंद्रिका कुमारी को उन्होंने समलैंगिक होने की बात बताई, तो उनका तलाक हो गया।