मेरे कंधे पर बैठा मेरा बेटा ,
जब मेरे कंधे पे खड़ा हो गया।
मुझी से कहने लगा ,
देखो पापा में तुमसे बड़ा हो गया।
मैंने कहा बेटा इस खूबसूरत ग़लतफहमी में भले ही जकडे ,
रहना मगर मेरा हाथ पकडे रखना।
जिस दिन यह हाथ छूट जाएगा,
बेटा तेरा रंगीन सपना भी टूट जाएगा।
दुनिया वास्तव में उतनी हसीन नही है,
देख तेरे पांव तले अभी जमीं नही है।
मैं तो बाप हूँ, बेटा बहुत खुश हो जाऊंगा,
जिस दिन तू वास्तव में मुझसे बड़ा हो जाएगा।
मगर बेटे कंधे पे नही …
जब तू जमीन पे खड़ा हो जाएगा।
ये बाप तुझे अपना सब कुछ दे जाएगा ,
और तेरे कंधे पर दुनिया से चला जाएगा !
लेखक : आशीष पाठक
लेखक परिचय : लेखक आशीष पाठक मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में वरिष्ठ पत्रकार है। श्री पाठक वर्तमान में पत्रिका समूह में अपनी सेवाए दे रहे है।
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