अमेठी– पीपरपुर थाना क्षेत्र में घटी नाबालिग हत्याकांड को लेकर पुलिस के आलाधिकारी कोई बड़ी कार्रवाई तो नहीं कर सके, लेकिन दारोगा और एक मुंशी को निलंबित कर दिया गया। बात समझ से परे है कि हल्का दरोगा और मुंशी पर ही गाज क्यों गिरायी गयी जबकि अन्य जिम्मेदार पूरी तरह से पाक हो गए।
दरअसल ये मामला पीपरपुर थाना अन्तर्गत नगरडीह गाँव का है। जब शनिवार को एक किशोरी के साथ गैंगरेप और ज़हर खिलाकर हत्या की घटना प्रकाश में आई थी। परिजनों का आरोप था कि घटना वाले दिन से ही मामले में पीपरपुर एसओ की भूमिका दोहरे मापदण्ड की थी और साथ एसओ पर आरोपियो को बचाने का आरोप था।
पीपरपुर पुलिस की नकामी के कारण ही चार दिन तक बवाल और प्रदर्शन के बाद युवती के शव का अंतिम संस्कार हुआ। इन तमाम मुख्य बिंदुओं पर फंस रही पुलिस को पाक साफ दिखाने के लिए आलाधिकारो ने दारोगा पीएन सिंह चौहान व मुंशी उमेश यादव को निलम्बित कर दिया। दोनों को साथ ही निलम्बन का आदेश थमाया गया।
जब कि सूत्रों की मानें तो 17 दिसम्बर को दारोगा पीएन सिंह अवकाश पर थे 19 दिसम्बर को 21:30 पर इलाज के लिए लखनऊ की रवानगी कराया और साथ ही दारोगा ने अपने हस्ताक्षर पर भी सवालिया निशान लगाया है और ऐसे में वाह वाही लूटने को लेकर पुलिस अधिकारियों की ये कार्यवाही भी विवादों के घेरे में आ गयी है। पुलिस के बड़े अधिकारी एसओ के खिलाफ कारवाई से आखिर क्यों बच रहे है ? यह एक बड़ा सवाल बनकर सामने आया है ।
किसी भी बड़े कांड में थानाक्ष्यक्ष की होती जिम्मेदारी-
पुलिस की कार्यशैली की बात की जाए तो बड़ी घटनाओं में संबंधित थाना प्रभारी पर अधिकारियों की निगाह टेढी होती है। पीपरपुर काण्ड मामले में बिल्कुल उलट हुआ है। थानाध्यक्ष रहे भरत उपाध्याय को बचा लिया गया तथा पी एन सिंह और एक मुंसी को निलंबित किया गया। पुलिस अभी तक सर्फ विभागीय तिकड़मबाजी तथा ठीकरा फोड़ने में लगी है।
रिपोर्ट- @राम मिश्रा