मुजफ्फरनगर के एक स्कूल के नौ कर्मचारियों को एक मजिस्ट्रेटी जांच के बाद बर्खास्त कर दिया गया। उन्हें मार्च में 70 नाबालिग लड़कियों के जबरन कपड़े उतरवाने का दोषी पाया गया। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) की वॉर्डन डॉक्टर सुरेखा तौमर ने लड़कियों के पीरियड्स की जांच करने के लिए उन्हें कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया था।
तौमर को कुछ दिन बाद ही नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। बेसिक शिक्षा अधिकारी चंद्र प्रकाश यादव ने बताया कि जांच में इस मामले में दोषी पाई गई वार्डन और अन्य स्टाफ के सदस्यों को तुरंत बर्खास्त कर दिया गया है। उनके कॉन्ट्रेक्ट को भी खत्म कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि एसडीएम सदर एरिया रेनू सिंह ने डीएम के आदेश के बाद जांच बैठाई थी। जिसमें इन लोगों को दोषी पाया गया है।
बर्खास्त होने वालों में तौमर के बाद वॉर्डन बनीं नीता चौधरी के अलावा तीन टीचर, दो कुक एक अकाउंटेंट और एक चपरासी शामिल है। खतौली इलाके के सहायक बीएसए दिनेश कुमार ने बताया कि एसडीएम ने जांच में पाया कि ये लोग पीरियड्स की जांच के लिए जबरन कपडे़ उतरवाने के मामले में जिम्मेदार थे। इस महीने के बाद इन सभी लोगों का कॉन्ट्रेक्ट रिन्यू होना था।
डीएम जी एस प्रियदर्शी ने बर्खास्तगी का आदेश दिया। निर्देश मिलने के बाद रविवार को इस मामले में दोषी पाए गए सभी लोगों को बर्खास्त कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि कर्माचारियों की कमी को पूरा करने के लिए दूसरे स्कूलों से कर्मचारियों को लाया जाएगा।
26 मार्च को स्कूल के टॉयलेट गंदे मिलने के बाद तौमर ने लड़कियों के कपड़े उतरवाए थे। इस घटना के बाद लड़कियों के परिजनों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था। तत्कालीन डीएम दिनेश कुमार सिंह के हस्तक्षेप के बाद बीएसए ने वार्डन को हटा दिया था और आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी) और 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने) के तहत खतौली पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया था।
तौमर ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया है। तौमर ने कहा कि स्कूल के टॉयलेट की दीवार और गेट पर ब्लड के निशान मिले थे। इसके बाद लड़कियों से पूछा गया था कि क्या किसी को पीरियड्स में दिक्कत है। तौमर ने आरोप लगाया था कि यह स्कूल के अन्य कर्माचारियों की साजिश है वह मेरे खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं, स्टूडेंट्स को मेरे खिलाफ भड़का रहे हैं।