कैथल – अबतक बस ड्राइविंग पुरूषों के ही पैसे कमाने का एक जरिया माने जाती थी। लेकिन अब महिलाओं ने इस लाइन में भी अपने दम पर इंट्री मार दी है। हरियाणा के कैथल की रहने वाली पूजा उन लोगों के लिए मिसाल बन गई है, जो यह मानते थे कि बस ड्राइविंग सिर्फ पुरूषों का ही काम है।
पूजा, जो पिता के साथ खेत में काम करती हैं। ट्रैक्टर चलाती हैं। इतना ही नही, अब उन्होंने गांव से 6 किमी. दूर जाकर बस चलाना भी सीख लिया है। अगर माता-पिता साथ हों तो किसी के ताने की परवाह नहीं। इसी कारण आज ड्राइविंग स्कूल में बस चलाना सीख रही हूं। यह कहना है आईजी कॉलेज में बीएससी फाइनल की छात्रा पूजा देवी का।
गांव चंदाना निवासी पूजा सुबह कॉलेज में पढऩे के लिए आती है। पढ़ाई के बाद अपने पिता इंद्र सिंह के साथ छह किलोमीटर दूर ड्राइविंग सीखने पहुंच जाती है। पूजा कहती हैं परिवार में एक भाई तीन बहन हैं। बड़ी होने के कारण पिता के साथ खेती में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। इसी दौरान ट्रैक्टर चलाना भी सीख लिया। अब वह खेतों में जुताई करके अपने कॉलेज की फीस का खर्च निकाल लेती है।
पूजा के पिता इंद्र सिंह कहते हैं कि ‘मेरी बेटी छह बेटों के बराबर है। मुझे खेती का काम छोड़ पूजा को 12 किलोमीटर दूर गढ़ी पाड़ला स्थित ड्राइवर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में ले जाना कष्टदायक नहीं लगता। बेटी पढ़ाई करने के साथ-साथ खेती में सहयोग करती है।
पूजा ने बताया कि गांवों में अधिकतर लोग रूढ़ीवादी होते हैं। वे लड़कियों को गांव से बाहर भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे लोग लड़कियों को सिर्फ दसवीं तक पढ़ाई कराकर उनकी शादी कर देते हैं। पूजा कहती हैं कि ऐसी सोच को बदलने की जरूरत है, लडकियों को पढ़ने से न रोकें।
रिपोर्ट :- राज कुमार अग्रवाल