गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने देश अत्यधिक अमीर (सुपर रिच) लोगों की तुलना ‘सड़े आलू की बोरी’ से की है।
अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्मोत्सव (इफ्फी) के समापन समारोह को संबोधित करते हुए सत्यपाल मलिक ने कहा कि ‘हिंदुस्तान में सिर्फ वो नहीं हो रहा है जो दिखाया जा रहा है, बहुत कुछ हो रहा है दो दिख नहीं रहा है। हिंदुस्तान में अभी भी गुरबत है…बेरोजगारी है। शहरों में बैगपैक लटकाए हजारों लड़के रोजी-रोटी की तलाश में भटकते दिख जाएंगे। उनको हम कोई बढ़िया नौकरी गारंटी नहीं कर सकते’।
मलिक ने आगे कहा, ‘किसानों की हालत भी ऐसी ही है। जवानों का तो मैं देख कर आया हूं। यहां बैठकर सब भाषण करते हैं कि हम जवानों के लिए ये हैं, हम वो हैं…आपके देश में तो ऐसे-ऐसे लोग हैं जिनके पास 14-14 मंजिल के मकान हैं। एक मंजिल में कुत्ता रहता है, एक में ड्राइवर रहता है और एक में कोई और…लेकिन एक पैसा भी चैरिटी नहीं करते हैं हिंदुस्तान की फौज के लिए’।
मलिक ने कहा, ‘हिंदुस्तान के फौजियों की जिस दिन अर्थी आती है उस दिन सारा जिला जुट जाता है…डीएम आ जाता है, एसएसपी आ जाता है, एमएलए आ जाता है, एमपी आ जाता है। राजस्थान के झूंझनू जिले में मेरी कई रिश्तेदारियां हैं। कोई गांव नहीं है वहां का जिसके दरवाजे पर शहीद की मूर्ति नहीं है, लेकिन शहीद के दाह-संस्कार के बाद बेवा और बच्चे को पूछने तक कोई नहीं जाता है’।
सत्यपाल मलिक ने आगे कहा, ”14 तल्ले के मकान वाले एक पैसे की चैरिटी नहीं करते हैं। न तो एजुकेशन के लिए करते हैं, न फौज के लिए करते हैं, न सिपाहियों के लिए करते हैं और न ही नौजवानों के लिए करते हैं’।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आगे कहा, ”दुनिया के सब बड़े लोग, चाहे वो लॉर्ड गिल्ड हों, म्यूजिक के लोग हों, माइक्रोसॉफ्ट वाले हों…सब लोग अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा चैरिटी करते हैं, लेकिन हमारे यहां का जो अमीर है, मैं उसको इंसान भी नहीं मानता…मैं उसको सड़े आलू की बोरी मानता हूं, जिसकी जेब से एक पैसा भी नहीं निकलता है। मैं अपने फिल्मकारों से भी कहना चाहता हूं कि समाज के इस वर्ग के उपर भी थोड़ा ध्यान दें”।